Edited By meena, Updated: 08 May, 2020 03:34 PM
गरीब मजदूर बताते हैं कि शासन की तरफ से सिर्फ चावल मिले हैं सिर्फ चावल से पेट भरना मुश्किल है घर का चूल्हा जलाने के लिए और भी चीजों की जरूरत पड़ती है साहब। इन झोपड़ी में रहने वाले मजदूरों को ना तो चिलचिलाती धूप की परवाह है नाही चकाचौंध...
रायसेन(नसीम अली): लॉकडाउन का असर पूरे देश में सामान्य जनजीवन पर तो पड़ा ही रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले गरीब मजदूर इससे प्रभावित हो रहे है, जिनका जीवनयापन रोज कमाना रोज खाना था। ऐसी एक मामला रायसेन जिले के सांची विकासखंड के बांसिया गांव का सामने आया है यहां शेरिया समाज के लोग जंगल से लकड़ी बीनकर लकड़ी बेचकर अपना जीवन यापन करते थे। मगर इस लॉक डाउन में घर से निकलना मुश्किल हो गया है और लकड़ी बिक नहीं पा रही हैं। दो वक्त की रोटी मिल पाना भी मुश्किल हो गई है।
प्रशासन ने कई जगह गरीबों को भोजन पहुंचाने का दावा किया है मगर बांसिया गांव में यह दावा खोखला ही नजर आ रहा है। यहां के गरीब मजदूर बताते हैं कि शासन की तरफ से सिर्फ चावल मिले हैं सिर्फ चावल से पेट भरना मुश्किल है घर का चूल्हा जलाने के लिए और भी चीजों की जरूरत पड़ती है साहब। इन झोपड़ी में रहने वाले मजदूरों को ना तो चिलचिलाती धूप की परवाह है नाही चकाचौंध भरी जिंदगी की खुशी है इनकी मजबूरी तो दो वक्त की रोटी है, जो इन्हें इस लॉकडाउन में नसीब नहीं हो रही है। बांसिया गांव में रहने वाली राजकुमारी बताती है कि 6 लोगों का परिवार है हमारी सुध लेने कोई भी नहीं आया है बस कहा गया है कि घर में रहो भले ही भूखे मर जाओ। लकड़िया बेच कर अपना गुजारा करते थे अब लकड़ी भी नहीं बिक रही है आखिर चावल से कब तक गुजारा करें।