प्रेरणा जो बनी मिसाल: प्राकृतिक खेती से जुड़कर राजनांदगांव की कृषि सखियां बनीं लखपति

Edited By Himansh sharma, Updated: 20 Dec, 2025 01:50 PM

krishi sakhis became millionaires by joining natural farming

जिससे किसान खेतों में कीट बीमारियों की रोकथाम के लिए तथा फसलों को स्वस्थ रखने के लिए रसायनों को छोड़कर पूरी तरह तैयार जैव उत्पाद का उपयोग कर रहे है।

राजनांदगांव। विकासखंड के ग्राम मोखला एवं भर्रेगांव में प्रयास एवं उन्नति स्वसहायता समूह की दीदीयों ने एक नया संकल्प लेकर अपने गांव एवं क्षेत्र को रसायन मुक्त खेती से अलग कर स्वयं के आर्थिक समृद्धि की एक अनोखी राह बनाई है। कृषि सखियों ने जीवामृत, बीजामृत, निमास्त्र, पंचगव्य सहित अन्य गौ आधारित उत्पाद से निर्मित सामग्री के माध्यम से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने तथा कृषकों की लागत में कमी करने के लिए प्रेरक पहल की है, जो एक मिसाल बन गई है। जिसमें गांव के ही खेती किसानी करने वाली महिलाओं ने अपना स्वयं का समूह बनाकर गौ आधारित उत्पाद जीवामृत, धनामृत, आग्रेयास्त्र, ब्रहास्त्र, निमास्त्र, दशपर्णी अर्क बनाई है। अन्य उत्पादों का कृषि विभाग के माध्यम प्रशिक्षण प्राप्त कर गांव में ही जैव आदान विक्रय केन्द्र (बीआरसी) प्रारंभ किया है। जहां उच्च गुणवत्ता के जैविक आदान सामग्री तथा प्राकृतिक खेती से संबंधित सभी प्रकार की सामग्री किसानों को बहुत ही न्यूनतम दर पर उपलब्ध करा रही हैं। 

जिससे किसान खेतों में कीट बीमारियों की रोकथाम के लिए तथा फसलों को स्वस्थ रखने के लिए रसायनों को छोड़कर पूरी तरह तैयार जैव उत्पाद का उपयोग कर रहे है।  कृषि विभाग द्वारा महिला स्वसहायता समूह के नवाचारी गतिविधि को देखते हुए उन्हें जिले में संचालित राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन योजना से जोड़ा गया तथा 375 एकड़ क्षेत्र में क्लस्टर तैयार कर समूह को जैव आदान सामग्री उपलब्ध कराने का कार्य सौंपा गया। स्वसहायता समूह की महिलाओं द्वारा ग्राम धामनसरा, ढोडिय़ा, भोडिय़ा, मोखला, भरेगांव, बांकल तथा पनेका के किसानों को फसल के बोवाई से लेकर कटाई तक की विभिन्न अवस्थाओं में अनुसंशित जैव आदान 1200 लीटर दशपर्णी अर्क 1200 लीटर ब्रम्हास्त्र एवं निमास्त्र निर्माण सामग्री का ना केवल वितरण किया गया, बल्कि स्वयं कृषकों के खेतों में खड़े होकर उपयोग विधि से अवगत कराया गया।

PunjabKesariजिससे समूह की कृषि सखियों ने खरीफ सीजन में एक-एक लाख रूपए प्रत्येक समूह आमदनी अर्जित की है। ग्राम भर्रेगांव बीआरसी समूह की अध्यक्ष श्रीमती नीतू चंद्राकर ने बताया कि प्राकृतिक खेती के लिए जैव आदान सामग्री निर्माण करने से उन्हें बहुत खुशी मिल रही है। साथ ही जहरीले रसायनों से हो रही बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक करने का संकल्प मिलता है। वह गांव की अन्य महिलाओं को भी अपने समूह के साथ जुड़कर बायो रिर्सोस इनपुट सेंटर को और बड़ा कर अधिक से अधिक किसानों तक जैव आदान सामग्री पहँुचाना चाहती हैं।

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