Edited By Himansh sharma, Updated: 11 Dec, 2025 03:39 PM
धमधा। (हेमंत पाल): दुर्ग जिले के धमधा क्षेत्र में धान खरीदी के केंद्रों की अव्यवस्था अब चरम पर है। जिस योजना को सरकार ने किसानों के लिए महत्वपूर्ण और पारदर्शी प्रक्रिया के रूप में शुरू किया था, वही योजना जमीनी स्तर पर भगवान भरोसे चलते सिस्टम का उदाहरण बनती जा रही है।
किसानों की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने बैठे हैं।
लिटिला समिति का प्रबंधक शराब के नशे में - किसानों से बदतमीजी
धान खरीदी केंद्र लिथया में प्रबंधक शराब के नशे में केंद्र पहुंचते हैं और किसानों के साथ गाली-गलौज सहित बदतमीजी करते हैं।
किसानों का कहना है
सुबह 8 बजे से लाइन में लगते हैं, लेकिन प्रबंधक नशे की हालत में आते हैं… ऐसे में खरीदी कब शुरू होगी?”
यह हालात किसानों को मानसिक रूप से परेशान कर रहे हैं।
घोंठा, घोटवानी, बरहापुर और लिटिया पुरद केंद्रों में मानकों की धज्जियां 41 से 42 किलो तक धान तौला जा रहा धान खरीदी में एक बोरे का निर्धारित मानक 40. 700 ग्राम किलो है। लेकिन धमधा क्षेत्र के कई केंद्रों में किसानों से 41किलो, 42 किलो तक धान तौलवाया जा रहा है, जो नियमों का सीधा उल्लंघन है।
इससे किसानों को न सिर्फ धान का नुकसान हो रहा है, बल्कि तौल की गड़बड़ी से आर्थिक क्षति भी झेलनी पड़ रही है।
नाबालिग बच्चों से काम - लेकिन कार्रवाई शून्य
कुछ दिन पहले ही घोटवानी धान खरीदी केंद्र में नाबालिग बच्चों से धान ढुलाई और तौल के कार्य करवाने का मामला सामने आया था। साक्ष्य होने के बावजूद प्रशासन ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
ग्रामीणों का कहना है
मामला प्रशासन तक पहुंचा, लेकिन कार्रवाई सिर्फ फाइलों तक सीमित है।”
टोकन सिस्टम फेल किसान रात भर जागकर भी टोकन से वंचित
सरकार ने धान खरीदी के लिए 70% ऑनलाइन,30% ऑफलाइन टोकन जारी करने का निर्देश दिया था। लेकिन हकीकत यह है कि ऑनलाइन टोकन जारी ही नहीं हो रहे!सिस्टम डाउन स्लॉट फुल सर्वर एरर की वजह से किसान रात-रातभर जागने के बावजूद टोकन नहीं प्राप्त कर पा रहे।
पुरदा के किसान का बयान
रात 12 बजे से सुबह तक मोबाइल पर लगे रहते हैं… लेकिन टोकन नहीं मिलता। कौन जिम्मेदार है?”
अधिकारी लगातार चुप्पी साधे कोई भी वर्जन देने को तैयार नहीं
सबसे हैरानी की बात यह है कि इतने बड़े मामले के बाद भी न तहसील के अधिकारी, न जिला प्रशासन कोई भी आधिकारिक प्रतिक्रिया देने से कतरा रहा है।
किसानों के अनुसार, प्रशासन की यह चुप्पी कई सवाल छोड़ रही है।
किसानों की महत्वाकांक्षी योजना पटरी से उतरती दिख रही
सरकार द्वारा घोषित धान खरीदी योजना किसानों के लिए एक बड़ी उम्मीद थी। लेकिन धमधा जैसे क्षेत्रों में प्रबंधकों की मनमानी,तौल में गड़बड़ी,बाल श्रम,टोकन सिस्टम की विफलता,और प्रशासनिक लापरवाही ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
किसानों का साफ कहना है
सरकार की योजना अच्छी है, लेकिन भ्रष्ट और लापरवाह सिस्टम इसे बर्बाद कर रहा है।”
धमधा क्षेत्र में धान खरीदी का संचालन गंभीर सवालों के घेरे में है।
किसानों की तकलीफ बढ़ती जा रही है, प्रबंधकों की मनमानी जारी है और प्रशासन की चुप्पी इस अव्यवस्था को बढ़ावा दे रही है।
यदि तत्काल जांच नहीं हुई, तो इस बार की धान खरीदी किसानों के लिए सबसे कठिन और हानिकारक सीजन साबित हो सकती है।