कॉलेज में धार्मिक कट्टरता फैलाने के आरोप में निलंबित हुए प्रिंसिपल, रिटायरमेंट के डेढ़ साल बाद मिली क्लीन चिट, बोले- मानसिक पीड़ा की भरपाई नहीं हो सकती

Edited By meena, Updated: 19 Dec, 2025 06:17 PM

principal suspended for spreading religious fanaticism in college

मध्यप्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने इंदौर के एक विधि महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य को इस संस्थान में धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देने के आरोपों से उत्पन्न विवाद के तीन साल पुराने मामले में तमाम आरोपों से बरी कर दिया है...

इंदौर: मध्यप्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने इंदौर के एक विधि महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य को इस संस्थान में धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देने के आरोपों से उत्पन्न विवाद के तीन साल पुराने मामले में तमाम आरोपों से बरी कर दिया है। अधिकारियों के मुताबिक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े छात्र-छात्राओं ने शहर के शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय के प्रशासन और कुछ प्राध्यापकों के खिलाफ एक दिसंबर 2022 को शिकायत की थी। उन्होंने बताया कि इस शिकायत में महाविद्यालय में धार्मिक कट्टरता फैलाए जाने, पक्षपातपूर्ण कार्य किए जाने, सामाजिक समरसता व सौहार्द्र को भंग किए जाने और सरकारी नीतियों को लेकर विद्यार्थियों को गुमराह किए जाने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे। इन आरोपों पर बवाल मचने के बाद राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. इनामुर रहमान को नौ दिसंबर 2022 को निलंबित कर दिया था। विभागीय जांच में तत्कालीन प्राचार्य पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने महाविद्यालय में सामाजिक समरसता और सौहार्द्रपूर्ण वातावरण बनाए रखने की जिम्मेदारी निभाने में लापरवाही बरती और संस्थान के शिक्षकों द्वारा की जा रही अनुशासनहीनता को रोकने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए। हालांकि, उच्च शिक्षा विभाग ने इस साल आठ दिसंबर को जारी आदेश में कहा कि साक्षियों के कथनों/पर्याप्त अभिलेखों (रिकॉर्ड) के अभाव में ये आरोप साबित नहीं हो सके हैं, नतीजतन डॉ. इनामुर रहमान के खिलाफ विभागीय जांच समाप्त करने और उनकी निलंबन अवधि को कर्तव्य अवधि माने जाने का प्रशासनिक निर्णय किया गया है।

डॉ. इनामुर रहमान निलंबित रहने के दौरान 31 मई 2024 को सेवानिवृत्त हो गए थे। उन्होंने कहा, ‘‘जाहिर है कि विभागीय जांच में मुझे बरी किए जाने का फैसला मेरी सेवानिवृत्ति के डेढ़ साल बाद किया गया है। इससे मेरी उस गहरी मानसिक पीड़ा की भरपाई नहीं हो सकती जो मैंने बेबुनियाद आरोपों के चलते निलंबित होने के बाद झेली है।''

उन्होंने इस संस्थान में तीन साल पहले सामने आए विवाद पर विस्तृत टिप्पणी से इनकार किया, लेकिन कहा, "अगर मैं अपनी सेवानिवृत्ति से पहले विभागीय जांच में दोषमुक्त होकर काम पर लौटता, तो महाविद्यालय के विद्यार्थियों के भले के लिए बनाई गई योजनाओं को अमली जामा पहना सकता था। मुझे हमेशा मलाल रहेगा कि मैं ऐसा नहीं कर सका।"

बता दें कि एबीवीपी के एक स्थानीय नेता ने डॉ. इनामुर रहमान, महाविद्यालय के एक प्राध्यापक और अन्य लोगों के खिलाफ तीन दिसंबर 2022 को भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए (धर्म के आधार पर दो समूहों के बीच वैमनस्य फैलाना), धारा 295-ए (किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जान-बूझकर किए गए विद्वेषपूर्ण कार्य) और अन्य संबद्ध प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उच्चतम न्यायालय ने इस प्राथमिकी को 14 मई 2024 को निरस्त कर दिया था। 

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