400 करोड़ की सरकारी जमीन से अवैध कब्जा हटाने पहुंची टीम का विरोध, मंत्री जयवर्धन का काफिला रोका

Edited By Jagdev Singh, Updated: 07 Jan, 2020 04:47 PM

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मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर निगम की टीम मंगलवार को ऑपरेशन क्लीन के तहत पुलिस-प्रशासन के साथ गोयला खुर्द स्थित हाउसिंग बोर्ड की जमीन से अतिक्रमण हटाने पहुंची। टीम ने अतिक्रमण हटाना शुरू किया, लेकिन वहां रह रहे लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। इसके बाद...

उज्जैन: मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर निगम की टीम मंगलवार को ऑपरेशन क्लीन के तहत पुलिस-प्रशासन के साथ गोयला खुर्द स्थित हाउसिंग बोर्ड की जमीन से अतिक्रमण हटाने पहुंची। टीम ने अतिक्रमण हटाना शुरू किया, लेकिन वहां रह रहे लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। इसके बाद पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए उन्हें वहां से हटाया और फिर मकानों को जमींदोज करने की कार्रवाई शुरू की।

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मंत्री जयर्वधन सिंह उज्जैन शहर में मंगलनाथ के दर्शन को पहुंचे थे। जैसे ही उनका शहर में होने का पता चला गुस्साए लोगों ने उनका काफिला रोक दिया। उन्होंने मंत्री के समक्ष नाराजगी जाहिर करते हुए कार्रवाई को गलत बताया। हाउसिंग बोर्ड की इस जमीन की कीमत 400 करोड़ से अधिक की कीमत की है, जिस पर अवैध निर्माण कर लिए गए थे। वहीं इससे पहले सोमवार कोनगर निगम के अमले ने इंदौर-उज्जैन हाईवे पर श्रीराम विहार कॉलोनी के अवैध निर्माण तोड़े। यहां पर भूमि सर्वे क्र. 46/1/ 2 मीन एक पर दीपक पिता मनोहर नोकवाल निवासी 63/2 अर्चना परिसर उज्जैन और मुखिया राम मोहनलाल पिता रतनलाल सूर्यवंशी निवासी संजयनगर ने अवैधानिक रूप से कॉलोनी काटी थी।

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वहीं पंवासा में भू-माफिया व अवैध कॉलोनाइजर बीजेपी नेता रामसिंह सोलंकी का नाम इससे जोड़ा जा रहा है। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कॉलोनी को काटने वाला सोलंकी है, लेकिन उसने खुद को बचाते हुए दूसरे के नाम से कॉलोनी काटना बताया है। इंदौर बाईपास पर केजीसी होटल के पीछे सरकारी जमीन पर कॉलोनी काटने का मामला पहली बार जनवरी 2018 में सामने आया था। 12 जनवरी को तत्कालीन तहसीलदार सुदीप मीणा ने मौके पर नपती कराई तो पता चला कि भू- माफिया ने नानाखेड़ा कस्बे की सर्वे क्र. 49 की चार बीघा सरकारी जमीन पर कॉलोनी काट दी है। उन्होंने प्लॉट भी बेचे थे।

क्षेत्र के पटवारी विश्वेश्वर शर्मा ने 22 जनवरी 2019 को मौके पर अवैध मकानों का निर्माण किए जाने की रिपोर्ट तहसीलदार अनिरुद्ध मिश्रा को सौंपी थी। इसकी जानकारी मिलने पर संबंधितों ने अपना पक्ष रखने के लिए तहसील मुख्यालय में परिवाद दायर किया है, जिसकी सुनवाई 19 फरवरी को होना तय हुआ था। इसके बाद नगर निगम के अमले ने जिला प्रशासन की मदद से 12 मकान तोड़ दिए। यह मकान सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाए थे। मामले में तहसीलदार मिश्रा के भू- माफिया को स्टे लाने की सलाह का ऑडियो वायरल होने पर कलेक्टर शशांक मिश्र ने उन्हें निलंबित कर दिया था।

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उज्जैन नगर निगम की कार्रवाई के विरोध में बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हो गए। वे जेसीबी के सामने भी आए। उज्जैन नगर निगम की गैंग को सोमवार शाम सीधे इंदौर रोड पहुंचने के निर्देश मिले। गैंग ने पहुंचते ही काम शुरू कर दिया। एक मकान को तोड़ना शुरू किया तो जहां रहने वाले विरोध में सामने आ गए। उन्होंने कहा-बिना नोटिस दिए कैसे तोड़ रहे हैं। हमने तो रजिस्ट्री करवाई है। लोन लेकर मकान बनवाए हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सब्सिडी भी मिल रही है। ऐसे में हमारे मकान अवैध कैसे हो गए। जिला प्रशासन, पुलिस और नगर निगम काे पहले कॉलोनाइजर पर कार्रवाई करना चाहिए। वह ही जिम्मेदार है। हमारी तो पूरे जीवन की कमाई मकान बनाने में चली गई। अब मकान टूट रहे हैं तो दूसरे कहां से बनवाएंगे। उनकी बात पर ध्यान देने की जगह निगम अमला अपनी कार्रवाई में लगा रहा। रात 8 बजे तक कार्रवाई चलती रही।

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