अंडर-19 वर्ल्ड कप जिताने वाली सौम्या पहुंची भोपाल, बाजे-गाजे के साथ हुआ स्वागत पिता बोले- अगले जन्म मोहे बिटिया ही दिजो

Edited By meena, Updated: 03 Feb, 2023 05:55 PM

saumya who won the under 19 world cup reached bhopal

बेटियां बेटों से कम नहीं है ये कहावत बीते कुछ वर्षों से लगातार चरितार्थ होती दिखाई पड़ती है। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने बीते दिन साउथ अफ्रीका में हुए अंडर-19 विश्व कप के फाइनल में जीत दर्ज कर खिताब

भोपाल (विवान तिवारी) : बेटियां बेटों से कम नहीं है ये कहावत बीते कुछ वर्षों से लगातार चरितार्थ होती दिखाई पड़ती है। भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने बीते दिन साउथ अफ्रीका में हुए अंडर-19 विश्व कप के फाइनल में जीत दर्ज कर खिताब अपने नाम कर लिया। इंग्लैंड और भारत दोनों फाइनल मैच में आमने-सामने थे और 7 विकेट से करारी हार देते हुए भारत ने खिताब अपने नाम कर लिया और फिर भारतीय अंडर-19 की महिला टीम विश्व चैंपियन बन गई।

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मात्र 37 गेंदों पर 24 रनों की नाबाद पारी खेली...

इस जीत का श्रेय मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के सौम्या तिवारी को दिया जा रहा है। उन्होंने नाबाद रहते हुए मात्र 37 गेंदों में 24 रनों की पारी खेली ऐसे में अब पूरे प्रदेश में समय तिवारी की चर्चा जमकर हो रही है। वही सौम्या बीते गुरुवार भोपाल अपने जन्मभूमि पहुंची। इस दौरान उनका राजा भोज विमानतल पर जमकर स्वागत हुआ। परिवार के साथ साथ शहर के कई उनके समर्थक पहुंचे और बाजे गाजे के साथ उनका स्वागत हुआ। यही नहीं एयरपोर्ट से निकलने के बाद गौतम नगर स्थित मकान के बीच कई जगहों पर लोगों ने सौम्या को रोककर उन्हें तिलक किया और उनका स्वागत भी किया।

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• बचपन से क्रिकेट का था शौक...

अपने बल्ले से अहम योगदान देते हुए सौम्या ने अंडर-19 क्रिकेट टीम को फाइनल जिताने में अपनी अहम भूमिका निभाई, अपनी शानदार बल्लेबाजी की वजह से उन्होंने न सिर्फ अपने देश का नाम बढ़ाया बल्कि अपने परिवार वालों का सिर भी गर्व से ऊंचा कर दिया, बता दें कि सौम्या के घर वालों ने भारत की इस जीत और अपनी बेटी के बेहतरीन खेल पर खुशी जाहिर की, वही उनके पिता ने यह कहा कि उनकी बेटी बचपन से ही क्रिकेट खेलने की काफी शौकीन रही। उन्होंने यह बताया कि उनकी बेटी का सपना था कि वह विश्व कप खेलें और फिर मैच में उसने अपनी टीम को जीत दिलवाई।

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• मैं कभी सौम्या का मैच नहीं देखती: मां

सौम्या की मां भारती तिवारी यह बताती है कि वह कभी सौम्या का मैच नहीं देखती, उन्होंने बिटिया की जीत के बाद ये बताया कि मैं मां हूं और मुझे डर लगता है, अगर कुछ सही नहीं हुआ तो मैं सौम्या का उदास चेहरा नहीं देख पाऊंगी। सौम्या ने शुरुआत की तो उस ग्राउंड की वो अकेली लड़की थी, पहली बार जब ग्राउंड में प्रैक्टिस करने गई तो कोच ने उन्हें मना कर दिया। वर्ल्ड कप जीतने के बाद घर वापसी पर मैंने यह बोला कि हम जमकर जश्न मना रहे हैं और अभी मैंने बहुत कुछ उसके खाने पीने के लिए बनाया है वह उनके पिता से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि अगले जन्म मोहे बिटिया ना दीजो कहावत गलत है और उन्होंने एक दूसरी नई कहावत कहते हुए कहा कि अगले जन्म मोहे बिटिया ही दिजो।

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• लकड़ी के बल्ले से की थी शुरुआत...

अंडर-19 टीम को विश्व चैंपियन बनाने मैं अपना अहम योगदान निभाने वाली सौम्या ने राजधानी भोपाल के शाहजहांनाबाद में मुगरी जिससे कपड़े धोए जाते हैं, उसे अपना बल्ला बनाकर उससे खेलना शुरू किया था। सौम्या के पिता बताते है कि सौम्या बचपन में टीवी पर क्रिकेट देखा करती थी और अक्सर मेरी पत्नी भारती से कपड़े धोने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मुगरी ले लेती थी और मेरी बड़ी बेटी साक्षी को कागज के गेंद बनाने और लिविंग रूम में खेलने के लिए कहती थी। वह यहां मुहल्ला क्रिकेट खेलती थी और कभी-कभी शिकायत करती थी कि लड़के उसे अपनी टीमों में शामिल नहीं करते।

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