डॉक्टरों का लापरवाही का बड़ा मामला, डिलीवरी के बाद महिला के गर्भाशय में छोड़ा कपड़ा

Edited By suman, Updated: 14 Jan, 2019 11:49 AM

the big case of negligence of doctors

जिला अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में नाॅर्मल डिलीवरी के मामलों मे लापरवाही के मामले थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। नहीं रही है। अब एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जानकर सभी के होश उड़ जाएंगे। दरअसल, एक डिलीवरी के दौरान डॉक्टरों ने महिला गर्भाशय में...

खरगोन: जिला अस्पताल में डॉक्टर्स की लापरवाही थमने का नाम ही नहीं ले रही हैं। अब एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जानकर सभी के होश उड़ जाएंगे। दरअसल, डिलीवरी के दौरान डॉक्टरों ने महिला गर्भाशय में कपड़ा छोड़ दिया। तीसरे दिन छुट्‌टी के बाद घर पहुंची महिला चक्कर खाकर बेहोश हो गई। इंदौर के निजी अस्पताल में चार दिन तक मौत से लड़ने के बाद उसकी जान बची। जांच में 52 गुना संक्रमण फैल गया। ऐसे मामलों में सामान्यत: सात गुना तक संक्रमण शरीर सहन कर पाता है। वहीं परिजनों ने खरगोन जिला अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही के आरोप लगाते हुए जिम्मेदार डॉक्टरों पर कार्रवाई की मांग की है।

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ये है पूरा मामला
डीआरपी क्षेत्र निवासी रूपाली पति अमित नरवरिया (27) को पेट दर्द होने पर 31 दिसंबर को जिला अस्पताल लाए। सुबह 8 बजे उसे लेबर रूम में नार्मल डिलीवरी हुई। 2 जनवरी को रूपाली को घर ले गए। पति अमित के अनुसार, घर आने के बाद रूपाली को चक्कर आए और बेहोश हो गई। तत्काल डॉक्टरों के पास ले गए। उन्होंने दर्द की गोलियां दी। घर पहुंचे तो गर्भाशय से कपड़ा निकल आया। हम निजी अस्पताल गए। यहां भर्ती किया। जांच हुई। गंभीरावस्था में डॉक्टरों ने इंदौर रैफर कर दिया। चोईथराम अस्पताल में आईसीयू में भर्ती किया। यहां सोनोग्राफी व अन्य जांचें हुई। चार दिन तक मौत से लड़ी। एक लाख रुपए से ज्यादा इलाज पर खर्च हो गए।


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कल्चर एंड सेंसेटिव व सोनोग्राफी रिपोर्ट में खुलासा
रूपाली की कल्चर एंड सेंसेटिव रिपोर्ट मे खुलासा हुआ। डॉक्टरों ने 52 गुना संक्रमण बता दिया। ऐसे मामलों में आमतौर पर 6-7 प्रतिशत संक्रमण हो जाता है। इस केस में पल्स 170-180 रही। जबकि सामान्य मरीज की 90-100 तक होती है। गर्भाशय में बाहरी कपड़े के कारण दो तरह के बैक्टिरिया पनपे। पस सेल्स 10 से 12 ग्राम निकला। साथ ही सोनोग्राफी रिपोर्ट में 113 एनएल लिक्विड मिला।


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टांके लगाने के बाद भूले कपड़ा निकालना
परिजन ने बताया डिलीवरी के दौरान स्टाफ ने ब्लीडिंग के दौरान कपड़ा रखा। ब्लीडिंग रुकने के बाद टांके लगा दिए। उन्होंने कपड़ा गर्भाश्य में ही छोड़ दिया। उसी दिन यह सामने आया था कि दो अन्य महिलाओं के गर्भाशय में भी कपड़ा छोड़ दिया था। उन्होंने भी डॉक्टरों की शिकायत की। तीनों मामलों की जांच होना चाहिए।

 

 

 

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