Edited By meena, Updated: 26 Aug, 2025 01:28 PM

हम गांव में रहते हैं, लेकिन क्या इंसान नहीं हैं? यह सवाल है दपका गांव के ग्रामीणों का, जो...
खैरागढ़ (हेमंत पाल) : हम गांव में रहते हैं, लेकिन क्या इंसान नहीं हैं? यह सवाल है दपका गांव के ग्रामीणों का, जो हर दिन कीचड़ और गड्ढों से भरी दपका- खैरागढ़ सड़क से होकर खेत जाते हैं। खैरागढ़ जिला मुख्यालय से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर बसा दपका गांव, आज भी विकास के नाम पर शून्य है।
जमीन पर हालात बेहद गंभीर
दपका- खैरागढ़ सड़क अब सड़क कम और आफत ज्यादा बन चुकी है। जगह-जगह गहरे गड्ढे, पानी से लबालब दलदल, और कीचड़ भरी राहें यह सब रोजाना का नजारा है। बारिश में हालात और भी बदतर हो जाते हैं। यहां से गुजरने वाली गाड़ियां हर कुछ मीटर पर हिचकोले खाती हैं, और दुपहिया वाहन सवार गिरने का जोखिम उठाते हैं।
छात्रों के लिए खतरे का रास्ता
दपका और आसपास के गांवों से दर्जनों स्कूली बच्चे रोज इसी रास्ते से खैरागढ़ जाते हैं। लेकिन यह यात्रा उनके लिए शिक्षा का नहीं, डर का कारण बन चुकी है। कीचड़ भरे रास्ते में कई बच्चे गिर चुके हैं, चोटिल हो चुके हैं लेकिन प्रशासन है कि आंख मूंदे बैठा है।
यह सड़क खेती-किसानी की रीढ़ है। लेकिन जब मंडी तक अनाज पहुंचाने के लिए ट्रैक्टर और गाड़ियां फंस जाती हैं, तो मेहनत बर्बाद हो जाती है। ग्रामीण बताते हैं कि सड़क की हालत ऐसी है कि बेमौसम बारिश से ज्यादा नुकसान यह सड़क कर रही है।

जनप्रतिनिधि और अधिकारी सब मौन क्यों?
कई बार ज्ञापन, आवेदन, और शिकायतें देने के बावजूद ना कोई निरीक्षण हुआ, ना कोई मरम्मत।
गांव में न नाली, न सड़क सिर्फ झूठे वादों की राजनीति
दपका गांव में न तो नाली की व्यवस्था है, न ही समुचित सड़कें। हर गली, हर रास्ता कीचड़ और बदबू से अटा पड़ा है। ग्रामीण बताते हैं कि कई घरों के सामने से निकलना तक मुश्किल हो जाता है। मुख्यालय से 5 किलोमीटर की दूरी पर ऐसा हाल है, तो दूरदराज़ गांवों की कल्पना भी डरावनी लगती है, यह सिर्फ दपका की कहानी नहीं है यह छत्तीसगढ़ के उन हजारों गांवों की कहानी है जो सत्ता के वादों में गुम हो जाते हैं, और जहां विकास सिर्फ भाषणों में सुनाई देता है।