Edited By Himansh sharma, Updated: 29 Dec, 2025 12:58 PM

हाइवे स्थित एक बैंक्वेट हॉल में आयोजित कांग्रेस का कार्यक्रम भाषणों से ज़्यादा भोजन व्यवस्था को लेकर सुर्खियों में रहा।
मुरैना। (रोहित शर्मा): हाइवे स्थित एक बैंक्वेट हॉल में आयोजित कांग्रेस का कार्यक्रम भाषणों से ज़्यादा भोजन व्यवस्था को लेकर सुर्खियों में रहा। मंच से संविधान, लोकतंत्र, व्यवस्था और भविष्य की राजनीति पर लंबे-चौड़े भाषण दिए गए, लेकिन जैसे ही भोजन का समय आया, पूरा अनुशासन थाली में गिरता नज़र आया।
भाषण खत्म होते ही कतारों की जगह धक्का-मुक्की शुरू हो गई। दाल–रोटी लेने के लिए लाइन नहीं, बल्कि कुश्ती का अखाड़ा सज गया। हालात ऐसे बने कि कार्यकर्ताओं को विचारधारा से ज़्यादा प्लेट बचाने की चिंता सताने लगी। जो पार्टी देश चलाने का दावा कर रही है, वह अपने कार्यक्रम में भोजन वितरण तक की व्यवस्था नहीं संभाल पाई। मंच से सिस्टम और सुशासन की बातें होती रहीं, लेकिन नीचे वही सिस्टम दाल-सब्जी के सामने घुटने टेकता दिखा। न कोई मैनेजमेंट नज़र आया, न कोई जिम्मेदारी—सिर्फ लोग, प्लेटें और अफरा-तफरी।
कार्यक्रम में मौजूद कई कार्यकर्ताओं ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि जब एक साधारण आयोजन में व्यवस्था नहीं संभाली जा सकती, तो बड़े सपनों की बात करना बेमानी लगता है।
यह दृश्य अपने आप में एक संदेश छोड़ गया..
कांग्रेस का मैनेजमेंट भाषणों और कागज़ों में तो ज़िंदा है, लेकिन ज़मीन पर उतरते ही भूख और अव्यवस्था के आगे ढेर हो जाता है।
मुरैना की यह तस्वीर सवाल छोड़ गई
क्या सत्ता की तैयारी से पहले, कांग्रेस को पहले भोजन व्यवस्था की ट्रेनिंग लेने की ज़रूरत है?