Mp news: भ्रष्ट अफसरों पर छापे तो खूब, लेकिन गिरफ्तारी नहीं, जानिए कौन सा नियम बन रहा ढाल? लोकायुक्त पर उठ रहे सवाल!

Edited By Vikas Tiwari, Updated: 17 Oct, 2025 05:12 PM

crores found no arrests mp lokayukta raids spark public outrage

मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकायुक्त की ताबड़तोड़ छापेमार कार्रवाई लगातार सुर्खियां बटोर रही हैं, लेकिन करोड़ों की संपत्ति बरामद होने के बावजूद आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने से जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। हाल ही...

भोपाल: मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकायुक्त की ताबड़तोड़ छापेमार कार्रवाई लगातार सुर्खियां बटोर रही हैं, लेकिन करोड़ों की संपत्ति बरामद होने के बावजूद आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने से जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में भोपाल के रिटायर्ड पीडब्ल्यूडी इंजीनियर जीपी मेहरा के घर से 17 टन शहद, 36 लाख नकदी, 2.6 किलो सोना और करोड़ों की संपत्ति मिली, जबकि इंदौर के रिटायर्ड आबकारी अधिकारी धर्मेंद्र सिंह भदौरिया के ठिकानों से 10 करोड़ की संपत्ति, 1 करोड़ नकद और 5 किलो सोना बरामद हुआ। इसके बावजूद किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई, जिससे जनता और जानकारों के बीच कई सवाल खड़े हो गए हैं।

क्यों नहीं हो रही गिरफ्तारी?
दरअसल, गिरफ्तारी न होने का कारण 23 मई 1994 के प्रशासनिक दिशा-निर्देश को बताया जा रहा है। इसमें कहा गया है कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सरकारी अधिकारियों की गिरफ्तारी सामान्य नियम नहीं होनी चाहिए। केवल विशेष परिस्थितियों में ही गिरफ्तारी की जाए, जैसे कि आरोपी जांच में सहयोग न करे, सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका हो, या रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा जाए। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अब दोनों अधिकारी सेवानिवृत्त हैं, ऐसे में गिरफ्तारी में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए।

कानूनी पेंच या लापरवाही?
भारतीय न्याय संहिता के अनुसार 7 साल तक की सजा वाले अपराध में गिरफ्तारी का कारण बताना जरूरी है, लेकिन आय से अधिक संपत्ति के मामलों में सजा 10 साल तक की हो सकती है। ऐसे में गिरफ्तारी पर कोई रोक नहीं होनी चाहिए। इसके बावजूद लोकायुक्त की तरफ से कार्रवाई न होना, एजेंसी की प्रभावशीलता पर प्रश्नचिह्न लगा रहा है।

आंकड़े बताते हैं हकीकत
2024–25 में लोकायुक्त ने 238 ट्रैप कार्रवाइयां कीं, जिनमें छोटे कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़े गए। 2022–24 में 137 छापों में ज्यादातर कार्रवाई निचले स्तर के कर्मचारियों तक सीमित रही। वरिष्ठ अधिकारियों पर जांच लंबी खिंच रही है — कभी विभागीय अनुमति के बहाने, कभी राजनीतिक दबाव के चलते। जीपी मेहरा के खिलाफ 2023 में 7 शिकायतें दर्ज थीं, पर विभागीय अनुमति न मिलने से जांच अटकी रही। भदौरिया, जो 2020 में निलंबित हुए और 2025 में रिटायर, अब तक कार्रवाई से बचे हैं।

लोकायुक्त की सफाई
भोपाल लोकायुक्त एसपी दुर्गेश राठौर का कहना है कि हम जरूरत के अनुसार ही केस में गिरफ्तारी करते हैं। अगर किसी शासकीय सेवक पर कार्रवाई होती है, तो उसे जांच प्रभावित न करने के लिए दूसरी जगह पदस्थ किया जाता है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!