Edited By Vikas Tiwari, Updated: 12 Dec, 2025 01:08 PM

जिले की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका भर्ती में फर्जी मार्कशीट रैकेट का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया कि 70 से अधिक आवेदकों ने मध्यप्रदेश बोर्ड के बजाय उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान के संदिग्ध बोर्डों की अंकसूचियां...
राजगढ़: जिले की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका भर्ती में फर्जी मार्कशीट रैकेट का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया कि 70 से अधिक आवेदकों ने मध्यप्रदेश बोर्ड के बजाय उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान के संदिग्ध बोर्डों की अंकसूचियां लगाईं। ये बोर्ड 216 वैध बोर्डों की सूची में भी शामिल नहीं हैं। सभी संदिग्ध आवेदकों के पद फिलहाल होल्ड कर दिए गए हैं।
आपत्ति समिति ने खोली असली पोल
आपत्ति समिति की जांच में कई चौंकाने वाले मामले सामने आए कि एक महिला 93% अंक लेकर पहुंची, लेकिन वह 12वीं के विषयों के नाम तक नहीं बता सकी। कई महिलाएं सरल हिन्दी वाक्य भी नहीं पढ़ पाईं, जबकि उनकी मार्कशीट में 80-90% अंक दर्ज थे। यह सब देखकर फर्जीवाड़े की पुष्टि हो गई। महिला एवं बाल विकास विभाग ने बताया कि जिनकी अंकसूचियां संदिग्ध या अमान्य मिलीं, उनके आवेदन रद्द कर दिए गए हैं और अब मेरिट सूची में दूसरे व तीसरे नंबर पर रहीं योग्य महिलाओं को प्राथमिकता से नियुक्ति दी जा रही है। अभ्यर्थियों को विकल्प दिया गया है कि वे जिला स्तरीय आपत्ति समिति और उसके बाद एडीएम कोर्ट में अपील कर सकते हैं।
खिलचीपुर का मामला: 50 हजार देकर खरीदी फर्जी अंकसूची
खिलचीपुर के नाटाराम निवासी कुमैरसिंह ने अपनी पत्नी के आवेदन के लिए 50 हजार रुपए में दिल्ली बोर्ड की 10वीं और 12वीं की अंकसूची बनवाई। जांच में यह बड़ा खुलासा हुआ कि ऐसा कोई बोर्ड अस्तित्व में है ही नहीं। इसी तरह कर्नाटक बोर्ड के नाम पर जमा की गई एक अन्य महिला की अंकसूची भी पूरी तरह जाली पाई गई।
जिले में सक्रिय है फर्जी मार्कशीट गिरोह
जांच में पुष्टि हुई है कि जिले में 40-50 हजार रुपए में 10वीं-12वीं की नकली मार्कशीट तैयार करने वाला गिरोह चल रहा है। इस रैकेट से जुड़े राजगढ़ के कम्प्यूटर सेंटर संचालक भाई कुणाल और राजू मेवाड़े के खिलाफ पहले से एफआईआर दर्ज है। कोतवाली और खिलचीपुर थानों में भी मामले दर्ज होने के बावजूद अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।