Edited By Vikas Tiwari, Updated: 12 Oct, 2025 02:45 PM

120 साल पहले सिंधिया रियासत के दौर में ग्वालियर में शुरू हुई नैरोगेज ट्रेन अब जल्द ही हेरिटेज ट्रेन के रूप में लौटने वाली है। करीब पांच साल बाद, देश की सबसे पतली नैरोगेज ट्रेन ग्वालियर की गलियों और आसपास के क्षेत्रों में दौड़ती नजर आएगी।
ग्वालियर: 120 साल पहले सिंधिया रियासत के दौर में ग्वालियर में शुरू हुई नैरोगेज ट्रेन अब जल्द ही हेरिटेज ट्रेन के रूप में लौटने वाली है। करीब पांच साल बाद, देश की सबसे पतली नैरोगेज ट्रेन ग्वालियर की गलियों और आसपास के क्षेत्रों में दौड़ती नजर आएगी।

कोरोना महामारी के चलते बंद की गई यह ट्रेन अब सिर्फ सफर नहीं कराएगी, बल्कि इतिहास की सैर भी कराएगी। इसे 1899 में ‘ग्वालियर लाइट रेलवे’ के नाम से शुरू किया गया था। उस समय यह ट्रेन 6-8 कोच में ग्वालियर से श्योपुर तक संचालित होती थी। अब इस ट्रेन को हेरिटेज लुक दिया जाएगा और इसे घोसीपुरा–मोतीझील से होते हुए बामौर गांव तक चलाने की योजना है। यह योजना राजस्थान के कामलीघाट–फुलाद और इंदौर के पातालपानी–कालाकुंड हेरिटेज सेक्शन के बाद ग्वालियर–बामौर को हेरिटेज सेक्शन बनाने की दिशा में एक कदम है।
इस योजना को गति देने के लिए रेलवे बोर्ड की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर आशिमा मेहरोत्रा और बोर्ड के डीडी राजेश कुमार ग्वालियर पहुंच चुके हैं। साथ ही एरिया मैनेजर कार्यालय को हेरिटेज बिल्डिंग के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई है। यहां म्यूजियम, गार्डन, नैरोगेज कोच और इंजन रखा जाएगा। वर्तमान में रेलवे के पास 38 नैरोगेज कोच हैं, जिनमें से 27 अच्छी स्थिति में हैं। कुल 7 इंजन में से 4 इंजन चलने योग्य हैं। देशभर में वर्तमान में 1.6 मीटर ब्रॉडगेज ट्रेनें संचालित हैं। इसके पहले पूरे देश में 1 मीटर के मीटरगेज, इंदौर में 0.7 मीटर और ग्वालियर में 0.61 मीटर की नैरोगेज लाइनें थीं। विशेषज्ञों का कहना है कि ग्वालियर नैरोगेज लाइन देश की सबसे संकरी हेरिटेज लाइन होगी और यह पर्यटन के साथ-साथ इतिहास के छात्रों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनेगी।