बैलगाड़ी पर बारात लेकर निकला दूल्हा, सादगी और पुरानी परंपरा ने मोहा सबका दिल...दूर दूर तक हो रही चर्चा

Edited By meena, Updated: 31 May, 2025 03:42 PM

the groom went out with the wedding procession on a bullock cart

आधुनिकता की चकाचौंध में धीरे-धीरे सादगी से भरी प्राचीन परंपराएं मानों खत्म होने लगी हैं...

बालाघाट (हरीश लिलहरे) : आधुनिकता की चकाचौंध में धीरे-धीरे सादगी से भरी प्राचीन परंपराएं मानों खत्म होने लगी हैं। पुराने समय में शादी विवाह की सादगी से भरी परम्परा आज भी बड़े बुजुर्गों के द्वारा याद किये जाते हैं। क्या हो जब पुराने रीती रिवाज़ अगर आज के आधुनिक युग में देखने मिले तब तो यक़ीनन यह आडम्बर से परे वर्षों पुरानी यादों और नज़ारे को तरो ताज़ा कर देता है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला बालाघाट जिले के कटंगी क्षेत्र में जहां प्राचीन समय की तरह ही ढोल-शहनाई, डपली बांसुरी के साथ एक बारात बैल गाड़ी खाचर (बैलगाड़ी का छोटा रूप) से निकली तो नये दौर में पुराने अंदाज की इस बारात को देखने और वीडियो बनाने ग्रामीणों की भीड़ लग गई। इस पारपंरिक बारात को देखने खुद क्षेत्र के विधायक गौरव पारधी भी उत्साहित होकर पंहुचे और जमकर तारीफ करते हुए बारात की और तस्वीरें भी खिचवाई।

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आगरवाड़ा गांव में निकली पारपंरिक अंदाज में फूलों से सजी धजी कातारों में आकर्षक बैलगाड़ी खाचर बारात को देखने ग्रामीणों की भीड़ भी देखी गई इस दौरान डीजे के बजाय बांसुरी और डपली की धुन पर बाराती नाचते नजर आए। यहां घोड़े के पोशाक और पांव में घुंघरू बांधे नाचता हुआ शख्स आकर्षण का केंद्र रहा जिसने मीडिया से बात करते हुए अपना नाम भरतलाल मेश्राम बताया। उन्होंने बताया कि वह सालों से घोड़ा नचाने का काम कर रहे है। उन्हें पहले हर शादी में बुलाया जाता था। लेकिन आधुनिकता के साथ उन्हें आमंत्रित करना बंद कर दिया गया था। उन्हें आखिरी बार बीते साल बुलाया गया था। अब इस तरह की शादी हो रही है और उन्हें अच्छा महसूस हो रहा है।

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जानकारी के अनुसार, बारात आगरवाड़ा से लेकर खड़गपुर तक निकली थी जिसकी दूरी करीब 10 किलोमीटर की है। जहां नामदेव पारधी की बिटिया योगिता पारधी के घर खड़कपुर गांव पूरी बारात बैलगाड़ी से गई थी, इसमें करीब दर्जन भर खाचर और बैलगाड़ी दिखी। बैलगाड़ी और बैलों को खास तरीके सजाया गया था। इसमें बैलों को झालर पहनाई गई थी और बैलगाड़ी के ऊपर छत लगाई थी। इस दौरान दूल्हा बने निलेश ठाकरे ने बातचीत में बताया कि उन्हें कुछ अलग करना था। अपनी शादी को यादगार बनाना चाहते थे। ऐसे में उन्होंने ये खाचर और बैलगाड़ी से बारात ले जाने का फैसला किया। यहां हर उम्रदराज के साथ बड़े बुजुर्ग बाराती भी पारम्परिक शादी से गदगद दिखाई दिए। मूलचंद पंवार बाराती दूल्हे के पिता रोशनलाल ठाकरे और मां ने बताया कि उनकी भी शादी ऐसे ही पारम्परिक रूप से हुई थी। इसमें फिजूलखर्ची नहीं है। वे घर से संपन्न है लेकिन पारम्परिक शादी करके उन्हें और सभी को बहुत आनंद मिला है और यह शादी यादगार बन गई है।

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आपको बता दें कि जब यह बारात निकली तो क्षेत्र के विधायक गौरव पारधी को भी उत्साहित होकर शादी में शामिल होते देखा गया विधायक पारधी ने बैलगाड़ी खाचर हांकने वाले ग्रामीण और ठाकरे परिवार से मुलाक़ात करके इस यादगार शादी और बारात को लेकर बाते साझा की। यहां विधायक ने परम्परिक शादी में खूब तस्वीरें भी खिंचवाई साथ ही प्राचीन तरीके से शादी विवाह करके लोगों को आडम्बर से परे होने के बेहतर संदेश देने के मकसद की तारीफ भी की।

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आज कल विवाह समारोह में कई तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं। कहीं देश से बाहर जाकर विवाह करना, किसी रिसॉर्ट अथवा फाइव स्टार होटल में समारोह आयोजित करना, हेलीकॉप्टर से दूल्हा दुल्हन की एंट्री, जैसे महंगे इवेंट किए जा रहे हैं। किंतु इन सबसे इतर बालाघाट ग्राम पंचायत आगरवाडा में ठाकरे परिवार का विवाह समारोह प्राचीन अंदाज से पारम्परिक रंग में रंगा नजर आया और यह शादी चर्चित होने के साथ साथ जिले में एक यादगार शादी भी बन गई है।

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