रतलाम के मुक्तिधाम में दीपावली : पूर्वजों की याद में रांगोली बनाकर किया दीपदान, आतिशबाजी के साथ बजाए गए ढोल

Edited By Himansh sharma, Updated: 31 Oct, 2024 01:15 PM

diwali celebrated in muktidham of ratlam

रतलाम जिले में दीपावली के एक दिन पूर्व पूर्वजों के साथ मुक्तिधाम पहुंच रतलाम वासी पर्व की खुशियां मनाते हैं।

रतलाम। (समीर खान): मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में दीपावली के एक दिन पूर्व पूर्वजों के साथ मुक्तिधाम पहुंच रतलाम वासी पर्व की खुशियां मनाते हैं। अनूठी परम्परा में लोग नए कपड़े पहनकर परिवार के बच्चों और महिलाओं के साथ मुक्तिधाम पहुंच पूर्वजों की याद में मुक्तिधाम में रांगोली बनाने के साथ दीपदान करते हैं। इतना ही नहीं ढोल की थाप के साथ जमकर आतिशबाजी कर पर्व का उल्लास पूर्वजों के साथ बांटते हैं। यह सब नजारा था बुधवार की शाम शहर के त्रिवेणी मुक्तिधाम में पांच दिवसीय दीपावली पर सभी लोग घर आंगन को रोशनी से जगमग करते है। दीपक जलाते है। रतलाम में इन सब के साथ शहर के नागरिक अपने पूर्वजों की याद में मुक्तिधाम में जाकर दीपावली मनाते है।

PunjabKesariशहर की सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था प्रेरणा द्वारा त्रिवेणी मुक्तिधाम में अपने पूर्वजों को याद करते हुए दीपावली पर्व मनाया गया। मुक्तिधाम में रंग-बिरंगे रंगों व फूलों से सजाकर रांगोली बनाई गई। दीपदान किया। बड़ी संख्या में लोग अपने बच्चों को लेकर यहां पहुंचे। जमकर आतिशबाजी की,त्रिवेणी मुक्तिधाम के अलावा शहर के भक्तन की बावड़ी एवं जवाहर नगर मुक्तिधाम में लोगों ने अपने पूर्वजों की याद में दीपक जलाकर आतिशबाजी की। परिवार के और बच्चों को लेकर मुक्तिधाम पहुंची मोनिका शर्मा ने बताया कि वह पिछले 17 साल से मुक्तिधाम में आती है। पहले यहां आने से सब डरते थे। जैसे मंदिर में जाकर पूजा पाठ करते है वैसे ही दीपावली पर मुक्तिधाम में बच्चों व परिवार के साथ आकर दीपदान करते है। यह क्रम लगातार जारी रहेगा। 

PunjabKesariशास्त्र में है मान्यता क्यों करना चाहिए दीपदान

संस्था के गोपाल सोनी ने बताया दीपावली पर्व 5 दिवसीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है। हम अपने घर-आंगन व्यवसाय स्थल को रोशनी से जगमग करते है। लेकिन हमारे पूर्वजों को याद करते हुए हम मुक्तिधाम में रांगोली बनाकर दीपक लगाकर आतिशबाजी करते है। यह दिन है हमारे पूर्वजों को याद करने और यदि वे किन्हीं कारणों से अंधकार में है, तो उन्हें प्रकाश की और ले जाने की प्रार्थना करने का है। यही हमारी हमारे पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होती है, क्योकि आज हम जो कुछ भी है, उसमें हमारे पूर्वजों का योगदान एवं आशीर्वाद है। शास्त्रानुसार इस दिन हमें हमारे पूर्वजों की आत्मिक शांति के लिये यमराज को दीपदान करना चाहिए। संस्था द्वारा वर्ष 2006 से पूर्वजों के अंतिम विश्राम स्थल पर दीपदान किया जा रहा है। आतिशबाजी कर नरक चौदस के दिन पूर्वजों के संग दीप पर्व मानने की पंरपरा की परंपरा कायम कर रखी है।

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