छतरपुर से विचलित करने वाली खबर से सनसनी, महज 8 महीने में खत्म हो गए 402 बच्चे, दिल्ली तक हड़कंप

Edited By Desh sharma, Updated: 24 Dec, 2025 10:37 PM

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छतरपुर से विचलित करने वाली खबर सामने आई है। MP के छतरपुर में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति को लेकर बड़े गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। जिला अस्पताल से आए आंकड़ों के अनुसार बीते 8 महीनों में जिलेभर में 402 बच्चों की मौत हुई है।

छतरपुर (राजेश चौरसिया): छतरपुर से विचलित करने वाली खबर सामने आई है। MP के छतरपुर में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति को लेकर बड़े गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। जिला अस्पताल से आए आंकड़ों के अनुसार बीते 8 महीनों में जिलेभर में 402 बच्चों की मौत हुई है। इस आकंड़े के सामने आने के बाद बहुत ही गंभीर प्रश्न खडे हो रहे हैं कि आखिर इन मौतों के पीछे वजह क्या है । वहीं इसको लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) विभाग ने स्वास्थ्य प्रबंधन से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।

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वहीं मामले ने जब जिला स्वास्थ्य अधिकारी आरपी गुप्ता से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि पूरे मामले की जांच की जा रही है और जांच पूरी होने के बाद ही अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।

8 माह की अवधि में कुल 402 बच्चों की मौत से हड़कंप

दरअसल जिले में अप्रैल से नवंबर 2025 तक करीब 8 माह की अवधि में कुल 402 बच्चों की मौत के मामले से हड़कंप है। आंकड़ों के अनुसार इस दौरान 64 बच्चों ने रास्ते में, 83 बच्चों की घर पर और 255 बच्चों की अस्पताल में डिलीवरी के बाद उपचार के दौरान दम तोड़ा। कुल 16,912 डिलीवरी में से 402 नवजातों की मृत्यु दर्ज की गई है।

सबसे ज्यादा 179 मौतें छतरपुर ब्लॉक में दर्ज

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ब्लॉक स्तर पर देखें तो सबसे अधिक  179 मौतें छतरपुर ब्लॉक में दर्ज की गईं। इसके अलावा बड़ामलहरा में 43, बिजावर में 39, लवकुशनगर में 39, नौगांव में 36, राजनगर में 36, बक्स्वाहा में 20 और गौरिहार में 10 बच्चों की मृत्यु हुई है। वहीं, अप्रैल से नवंबर तक एसएनसीयू के आंकड़ों के अनुसार नवजात मृत्यु दर में लगातार गिरावट देखी जा रही है। नवंबर तक एसएनसीयू में कुल 176 बच्चों की मौत दर्ज की गई है।

इस संबंध में सीएमएचओ डॉ. आर.पी. गुप्ता ने बताया कि सामने आए आंकड़ों का सत्यापन कराया जा रहा है। एसएनसीयू प्रभारी, सिविल सर्जन और ब्लॉक मेडिकल ऑफिसरों से आंकड़ों की पुष्टि कराई गई है। उन्होंने कहा कि विभागीय समीक्षा में डेथ रेट में कमी आई है और इसे और कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

डिलीवरी के दौरान लगभग 10 प्रतिशत बच्चे हाई-रिस्क श्रेणी में- CMHO

सीएमएचओ ने बताया कि डिलीवरी के दौरान लगभग 10 प्रतिशत बच्चे हाई-रिस्क श्रेणी में आते हैं, जिनमें मृत्यु की संभावना अधिक रहती है। ऐसे बच्चों की पहचान, समय पर उपचार और सुविधाओं में सुधार के लिए निरंतर रिव्यू और सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि नवजात मृत्यु दर को और कम किया जा सके। फिलहाल NHM द्वारा मांगी गई रिपोर्ट और जांच के नतीजों के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि बच्चों की मौत के पीछे वास्तविक कारण क्या हैं और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में कहां कमी रह गई।

 

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