Edited By Himansh sharma, Updated: 04 Sep, 2025 06:55 PM

मध्य प्रदेश के इंदौर के सबसे बड़े अस्पताल एमवाय में प्रशासनिक लापरवाही का एक और मामला सामने आया है।
इंदौर। (सचिन बहरानी): मध्य प्रदेश के इंदौर के सबसे बड़े अस्पताल एमवाय में प्रशासनिक लापरवाही का एक और मामला सामने आया है। दो दिन पहले एक बच्ची का पोस्टमार्टम नहीं हुआ था, लेकिन अधीक्षक डॉ. अशोक यादव ने कलेक्टर और मीडिया को झूठी जानकारी दी थी। वीडियो वायरल होने के बाद ही बच्ची का पोस्टमार्टम कराया गया।
मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के इस अस्पताल में निचले स्तर की लापरवाही को छोड़ दें, तो अब यह साफ हो गया है कि उच्च प्रशासनिक स्तर पर भी गंभीर चूक हुई है। जब दोनों बच्चों की मौत हुई, तब एक बच्चे का शव बिना पोस्टमार्टम कराए परिजनों को सौंप दिया गया। वहीं, धार जिले से रेफर की गई दूसरी बच्ची का पोस्टमार्टम कराने की बात कही गई थी, और रिपोर्ट में कई बीमारियों का जिक्र प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया गया।
अस्पताल प्रशासन ने कलेक्टर आशीष सिंह को भी झूठी जानकारी दी और कलेक्टर ने भी मीडिया से कहा कि पोस्टमार्टम हो चुका है और मृत्यु का कारण कई बीमारियां हैं।
हालाँकि, बुधवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें स्पष्ट सुनाई दिया कि किसी भी बच्चे का पोस्टमार्टम एमवाय अस्पताल में नहीं हुआ था। वीडियो के बाद अस्पताल प्रशासन ने तुरंत बच्ची का पोस्टमार्टम कराया। अधिकारियों ने माना कि पोस्टमार्टम गुरुवार को दोपहर 1 बजे बाद हुआ है, और रिपोर्ट अभी आना बाकी है।
इस पूरे मामले में सवाल यह उठ रहे हैं कि पोस्टमार्टम हुआ भी या नहीं। वार्ड बॉय रफीक ने बताया कि मंजू नामक महिला के नवजात का शव पीएम के लिए भेजा गया था, लेकिन वास्तव में पोस्टमार्टम अभी तक नहीं हुआ था।
पूर्व में डॉ. अशोक यादव ने कहा था कि पहले बच्चे का पोस्टमार्टम हो चुका है और उसकी मौत हार्ट वेसल की समस्या और सेप्टिसीमिया बीमारी के कारण हुई। इस पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन द्वारा कलेक्टर को भी गलत जानकारी दी गई, और उन्होंने भी मीडिया से पोस्टमार्टम और बीमारियों का जिक्र किया। यह मामला एमवाय अस्पताल प्रशासन की गंभीर लापरवाही और मीडिया तथा अधिकारियों को गलत जानकारी देने का प्रतीक बन गया है।