Edited By meena, Updated: 23 Aug, 2019 05:54 PM
ग्वालियर के फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान राधाकृष्ण का श्रृंगार करीब 50 करोड़ रुपए के अधिक के जेवरातों से किया गया। सिंधिया राजवंश के ये प्राचीन जेवरात मध्यभारत की सरकार के समय गोपाल मंदिर को सौंप दिए गए थे। इन बेशकीमती...
ग्वालियर(अंकुर जैन): ग्वालियर के फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान राधाकृष्ण का श्रृंगार करीब 50 करोड़ रुपए के अधिक के जेवरातों से किया गया। सिंधिया राजवंश के ये प्राचीन जेवरात मध्यभारत की सरकार के समय गोपाल मंदिर को सौंप दिए गए थे। इन बेशकीमती जेवरातों में हीरे और पन्ना जड़ित हैं। जेवरातों को कोषालय से कड़ी सुरक्षा के बीच मंदिर लाया गया। जेवरातों की लिस्टिंग के बाद उनका वजन किया गया। इसके बाद गंगाजल से धोने के बाद भगवान को पहनाए गए।
गोपाल मंदिर में स्थापित भगवान राधाकृष्ण की प्रतिमा को इन जेवरात से सुसज्जित करने की परंपरा आजादी के पूर्व से है। उस समय सिंधिया राजपरिवार के लोग व रियासत के मंत्री, दरबारी व आम लोग जन्माष्टमी पर दर्शन को आते थे। उस समय भगवान राधाकृष्ण को इन जेवरातों से सजाया जाता था। आजादी के बाद मध्यभारत की सरकार बनने के बाद गोपाल मंदिर, उससे जुड़ी संपत्ति जिला प्रशासन व निगम प्रशासन के अधीन हो गई है।
नगर निगम ने इन जेवरातों को बैंक लॉकर में रखवा दिया। वर्षों तक ये लॉकरों में रखे रहे। इसके बाद साल 2007 में डॉ. पवन शर्मा ने निगमायुक्त की कमान संभाली। उन्होंने निगम की संपत्तियों की पड़ताल कराई, उसमें इन जेवरातों की जानकारी मिली। उसके बाद तत्कालीन महापौर विवेक शेजवलकर और निगमायुक्त ने गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी के दिन भगवान राधाकृष्ण की प्रतिमाओं को इन जेवरातों से श्रृंगार कराने की परंपरा शुरू कराई। उसके बाद से तत्कालीन आयुक्त इस परंपरा का पालन कर रहे हैं।
इन जेवरातों में हीरे-जवाहरात से जड़ा स्वर्ण मुकुट, पन्ना और सोने का सात लड़ी का हार, 249 शुद्ध मोती की माला, हीरे जडे कंगन, हीरे व सोने की बांसुरी, प्रतिमा का विशालकाय चांदी का छत्र, 50 किलो चांदी के बर्तन, भगवान श्रीकृष्ण व राधा के झुमके, सोने की नथ, कंठी, चूडियां, कड़े समेत अन्य बहुत सा सामान शामिल है।
जेवरातों की बाजार दर काफी ज्यादा होने के कारण जन्माष्टमी के दिन यहां 200 से अधिक जवान तैनात किए गए हैं। पूरा गोपाल मंदिर पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है। इस बार भी भगवान राधाकृष्ण के दर्शन के लिए डेढ़ से दो लाख भक्तों के आने की संभावना है।