किर्गिस्तान में भारतीय निवेश से उभरता मेडिकल शिक्षा का नया केंद्र, छात्रों को मिल रही गुणवत्ता और सुरक्षा

Edited By meena, Updated: 30 May, 2025 08:58 PM

medical education hub emerging in kyrgyzstan with indian investment

विदेशों में मेडिकल शिक्षा को लेकर भारतीय छात्रों की प्राथमिकताएं अब बदल रही है...

रायपुर (पुष्पेंद्र सिंह) : विदेशों में मेडिकल शिक्षा को लेकर भारतीय छात्रों की प्राथमिकताएं अब बदल रही है। जहां पहले रूस, यूक्रेन और फिलीपींस जैसे देशों को तरजीह दी जाती थी, अब छात्र उन देशों की ओर बढ़ रहे हैं जो शांति, सुरक्षा, पारदर्शिता और गुणवत्ता के मानकों पर खरे उतरते हों। इसी कड़ी में किर्गिस्तान का नाम तेजी से उभरा है। यह मध्य एशिया का एक शांतिप्रिय और स्थिर देश है, जिसने हाल के वर्षों में भारतीय छात्रों के लिए मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में खुद को एक विश्वसनीय केंद्र के रूप में स्थापित किया है।

इस बदलाव में भारतीय निवेशकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने किर्गिस्तान में न केवल मेडिकल शिक्षा के लिए आधुनिक संस्थान स्थापित किए हैं, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता, संरचना और व्यवस्था को भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ढाला है। यह सिर्फ व्यवसायिक विस्तार नहीं बल्कि भारत की वैश्विक शैक्षणिक उपस्थिति को मज़बूत करने की दिशा में एक ठोस पहल है।इन्हीं संस्थानों में से एक है किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में स्थित इंटरनेशनल हायर स्कूल ऑफ मेडिसिन (IHSM), जो भारतीय छात्रों के बीच एक विश्वसनीय विकल्प बन चुका है। 2003 में स्थापित इस संस्थान से अब तक 16,000 से अधिक छात्र पढ़ाई पूरी कर चुके हैं, जिनमें 6,000 से ज्यादा भारतीय हैं। यह कॉलेज भारत की नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के मानकों पर आधारित पाठ्यक्रम प्रदान करता है, जिसमें 5.5 साल की अवधि, इंटर्नशिप और अंग्रेज़ी माध्यम की पढ़ाई शामिल है।

कॉलेज को WHO, FAIMER और ECFMG जैसी संस्थाओं से मान्यता प्राप्त है, जिससे छात्र USMLE और PLAB जैसी अंतरराष्ट्रीय परीक्षाओं के लिए भी पात्र हो जाते हैं। यहां पढ़ाई के साथ-साथ छात्रों को क्लिनिकल ट्रेनिंग के लिए किर्गिस्तान और भारत के अस्पतालों में व्यावहारिक अनुभव लेने का अवसर मिलता है। साथ ही MRCP (UK) जैसी परीक्षाओं की तैयारी में भी यह संस्थान छात्रों की मदद करता है। IHSM का FMGE (Foreign Medical Graduate Examination) में सफलता दर 60% से अधिक है, जो इसकी शिक्षा की गुणवत्ता का प्रमाण है। भारतीय छात्रों के लिए वहां भारतीय भोजन, सुरक्षित हॉस्टल, शैक्षणिक सलाह और सांस्कृतिक वातावरण जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिससे उन्हें विदेश में भी घर जैसा अनुभव मिलता है।

यहां की प्रवेश प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है और सीधे संस्थान के माध्यम से होती है- किसी एजेंट या बिचौलिए की जरूरत नहीं होती। यही कारण है कि छात्रों और उनके अभिभावकों के बीच इन संस्थानों पर विश्वास लगातार बढ़ रहा है। हालांकि अन्य कुछ देशों में मेडिकल शिक्षा के नाम पर छात्रों को भ्रमित करने की घटनाएं भी सामने आई हैं। वहां शिक्षा की गुणवत्ता, प्रशासनिक समर्थन और सुरक्षा व्यवस्था संतोषजनक नहीं रही है। भाषा की समस्या, पाठ्यक्रम की असंगति और अस्थिर राजनीतिक माहौल जैसे कारणों से कई छात्र मानसिक और शैक्षणिक रूप से परेशान हुए हैं। किर्गिस्तान में स्थिति इसके उलट है। यहां सरकार और संस्थान दोनों ही छात्रों की सुरक्षा और सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं।

इसी संदर्भ में एक अभिभावक मनीष मलिक, जिनके बेटे ने किर्गिस्तान में मेडिकल पढ़ाई शुरू की है, बताते हैं- “मैंने अपने बेटे को किर्गिस्तान में पढ़ाई के लिए भेजा है और अब तक का अनुभव बेहद सकारात्मक रहा है। यहां का माहौल शांतिपूर्ण है, शिक्षा की गुणवत्ता अच्छी है और छात्रों की सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाता है। मेरी भारत सरकार से विनम्र अपील है कि किर्गिस्तान जैसे भरोसेमंद देशों को आधिकारिक मेडिकल शिक्षा सलाह सूची में शामिल किया जाए। साथ ही, यहां भारतीय छात्रों की सहायता के लिए भारतीय दूतावास में एक स्थायी हेल्प डेस्क की व्यवस्था की जाए, ताकि किसी भी आपात स्थिति में छात्रों और उनके परिजनों को तत्काल मदद मिल सके।”

यह स्पष्ट है कि किर्गिस्तान में भारतीय निवेशकों ने मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में एक नया मुकाम हासिल किया है। यह कोई प्रचार नहीं, बल्कि जानकारी आधारित एक नया शैक्षणिक परिदृश्य है, जो भारत के युवाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सस्ती, गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने का अवसर दे रहा है।

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