Edited By ASHISH KUMAR, Updated: 21 Nov, 2018 06:12 PM
शाजापुर जिले की कालापीपल विधानसभा को BJP का गढ़ माना जाता है। इस सीट से विजय रथ को रोकने लिए कांग्रेस ने कुणाल चौधरी को टिकट दिया है। इससे जीत की एक किरण तो नजर आ रही है, लेकिन अभी भी...
पोलयकलां: शाजापुर जिले की कालापीपल विधानसभा को BJP का गढ़ माना जाता है। इस सीट से विजय रथ को रोकने लिए कांग्रेस ने कुणाल चौधरी को टिकट दिया है। इससे जीत की एक किरण तो नजर आ रही है, लेकिन एक सवाल ये उठ रहा है कि क्या कांग्रेस में अभी भी गुटबाजी कायम है। एक तरफ जहां अपनों के व्यवहार पर सवाल खड़े हो रहे हैं, वहीं दूसरी पार्टी के नेताओं से समर्थन भी मिल रहा है।

दरअसल, कालापीपल विधानसभा से कांग्रेस पार्टी का टिकट पाने के लिए चार नेताओं ने दावेदारी की थी, जिनमें बाबूलाल सोनी, चतुभुर्ज तोमर, भोजराज परमारअकोदिया और शिवप्रताप सिंह मण्डलोई हैं। लेकिन पार्टी ने टिकट कुणाल चौधरी को दिया। कालापीपल में जब कांग्रेस कार्यलय का शुभारंभ किया गया तो ये सभी लोग मंच पर कुछ देर के लिए एक साथ मौजूद थे, जिसके बाद सब गायब हो गए। हालांकि, कार्यक्रम के दौरान सभी लोग यह जताने की कोशिश कर रहे थे कि वे एकजुट हैं, लेकिन असलियत कुछ और ही नजर आ रही है।

जबकि चतुर्भुज तोमर ने इस तरह की सारी बातों का खंडन करते हुए कहा है कि ऐसा कुछ नहीं है, सब पार्टी के लिए निष्पक्षता के साथ काम कर रहे हैं और टिकट देने के लिए हाईकमान ने जो फैसला लिया है, वह सही है।

दूसरी तरफ, भाजपा पर भी भितरघात का खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि BJP के दिग्गज लखन चंद्रवंशी ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। बता दें कि लखन पोलायकला पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष के पति हैं, जो पूर्व में BJP से चुनाव लड़कर अध्यक्ष पद पर काबिज हुए थे। इसके बाद लखन ने पार्टी से टिकट नहीं मिलने के चलते निर्दलीय चुनाव लड़ा। इस बार भी उन्होंने भाजपा से डमी फॉर्म जमाकर अपनी दावेदारी पेश की थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। नाराज होकर उन्होंने कांग्रेस को समर्थन दिया है और अब वह बीजेपी के खिलाफ काफी जहर उगल रहे हैं।