Edited By meena, Updated: 05 Oct, 2022 06:31 PM
देश भर में दशहरे के दिन लंकापति रावण का दहन किया जाता है और रावण को बुराई का प्रतीक माना जाता है, लेकिन भारत देश के कई हिस्सों में आज भी रावण की पूजा होती है। सतना जिले के कोठी कस्बे में थाना परिसर के अंदर रावण की प्रतिमा स्थापित है
सतना(अनमोल मिश्रा): देश भर में दशहरे के दिन लंकापति रावण का दहन किया जाता है और रावण को बुराई का प्रतीक माना जाता है, लेकिन भारत देश के कई हिस्सों में आज भी रावण की पूजा होती है। सतना जिले के कोठी कस्बे में थाना परिसर के अंदर रावण की प्रतिमा स्थापित है और हर साल दशहरा के अवसर पर ग्रामीण रावण की पूजा करते हैं। कोठी के रहने वाले मिश्रा परिवार पिछले 40 सालों से लंकापति रावण की पूजा करते चले आ रहे हैं।
भारत को अद्भुत परंपराओं और संस्कृति से भरा देश माना जाता है। जहां पूरे देश में दशहरा को धूमधाम से मनाया जाता है, बुराई पर सच्चाई की जीत स्वरूप रावण का पुतला दहन किया जाता है, तो दूसरी ओर सतना जिले के कोठी में रावण का दहन करने के बजाय उसकी जय जयकार करते हैं और पूजा करते हैं।
इतना ही नहीं ये लोग रावण को अपना रिश्तेदार मानते हैं। पुराणों में किए गए उल्लेख के अनुसार रावण महाज्ञानी और पंडित था, जिसकी वजह से कई जगहों पर रावण को पूजा जाता है। रमेश मिश्रा बताते हैं कि वह सभी उनके दशानन के वंशज हैं, इसलिए वह रावण की पूजा अर्चना करते चले आ रहे हैं।
इसके अलावा भी गांव के काफी लोग रावण की इस पूजा में शामिल होते हैं, रावण सबसे ज्ञानी थे, जिन्होंने ब्रम्हा, विष्णु, महेश तीनों देवताओं को अपनी तपस्या से प्रसन्न किया था, जिसे वेद पुराण का ज्ञान था, उन्हीं के लिए भगवान राम की लीला रची गई और रावण का अंत किया गया।
रावण में अहंकार भले ही था, लेकिन उनकी भक्ति, तप और ज्ञान पूजने लायक है। रमेश मिश्रा का कहना है थाना परिसर के अंदर बरसों पुरानी रावण की प्रतिमा की वह लगातार दशहरे के दिन बड़े धूमधाम से पूजा करते चले आ रहे हैं, उनके के बाद उनके वंशज इस परंपरा को निभाएंगे।