5 सौ करोड़ की कॉलोनी पर SDM का अनोखा आदेश, DM की जांच से पहले ही रफा दफा किया मामला

Edited By meena, Updated: 17 Nov, 2020 05:14 PM

sdm s unique order on a 500 million colony

रसूख और पैसे के दम पर किस तरह से आदेश अपने पक्ष में कराए जा सकते हैं इसकी तस्वीर अगर आपको देखना है तो जबलपुर में देख सकते हैं। जबलपुर के अधारताल के एसडीएम रिसभ जैन ऐसे हैं कि उनके पास कोई बिल्डर चले जाए तो आसानी से वे उस के पक्ष में आदेश कर देते हैं...

जबलपुर(विवेक तिवारी): रसूख और पैसे के दम पर किस तरह से आदेश अपने पक्ष में कराए जा सकते हैं इसकी तस्वीर अगर आपको देखना है तो जबलपुर में देख सकते हैं। जबलपुर के अधारताल के एसडीएम रिसभ जैन ऐसे हैं कि उनके पास कोई बिल्डर चले जाए तो आसानी से वे उस के पक्ष में आदेश कर देते हैं यहां तक कि दूसरे पक्ष को सुनते भी नहीं है हाल यह है कि जिस 500 करोड़ की कॉलोनी की फाइल कलेक्टर ने अपने पास मंगाई उसी कॉलोनी के बिल्डर को बैक डेट पर लाभ दे बैठे। अब सोचिए कि क्या एस डीएम कलेक्टर से बड़े हो गए हम जिस मामले की बात कर रहे हैं उसके बारे में आप सभी बेहतर तरीके से जानते भी हैं। लक्ष्मीपुर की  खसरा 56 /6 भूमि को लेकर लंबे अरसे से विवाद चल रहा है इस भूमि पर 30 फीट की सार्वजनिक सड़क बनाने का दावा बिल्डर के माध्यम से लगातार किया जा रहा है और यह वह बिल्डर है जो कि आगे चलकर 500 करोड़ की एमएच रेसिडेंसी बना रहा है।

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इसको लेकर उसने 30 फीट की सड़क कागजों में हेरफेर करके बनवा ली है या फिर यूं कहें कि दूसरों की जमीन को सार्वजनिक हित की जमीन बताकर सरकारी रोड घोषित करवा ली है। इस पूरे मामले पर देखने वाली बात यह है कि यहां पर 56/6 की भूमि पर शैलेश जॉर्ज का कब्ज़ा है लेकिन यहां अपीलकर्ता शैलेश जॉर्ज की सुनवाई नहीं की गई हाल यह रहा कि एसडीएम महोदय ने उनको सुनवाई का कोई अवसर ही नहीं दिया। उनका वकील को कोरोना था उसने आवेदन दिया कि मुझे अगली पेशी दे दी जाए लेकिन एसडीएम साहब ने उसको भी दरकिनार कर दिया।
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अपीलकर्ता ने जब देखा कि यहां पर उसको न्याय नहीं मिल सकता तो उसने कलेक्टर जबलपुर कर्मवीर शर्मा के सामने अपील कि उसका केस दूसरे एसडीएम कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया जाए जिस पर 23 नवंबर को सुनवाई होनी थी। यहां तक कि कलेक्टर ने उक्त प्रकरण की पूरी फाइल ही अपने पास मंगा ली थी। इसके पहले ही एसडीएम ने अपील को निरस्त करके एमएच रेसिडेंसी को लाभ दे दिया। यहां तक कि इसमें अवलोकन करने वाले तत्वों का भी परीक्षण नहीं किया आदेश चौंकाने वाला है कि हम खुद लिख रहे हैं कि इस रोड का उपयोग हो रहा है जबकि आसपास कोई आबादी ही नहीं है।

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एसडीएम ने माना छेड़छाड़ हुई लेकिन आदेश में आंखें मूंद ली...
इस पूरे प्रकरण में एसडीएम रिसभ जैन ने यह पाया है कि 56 /6  के खसरा नंबर पर और मैप में छेड़छाड़ की गई है जब छेड़छाड़ की गई है तो इस पर जांच भी कराई जा सकती थी लेकिन एसडीएम ने आदेश में इसका उल्लेख तो किया लेकिन जांच कराने की जहमत नहीं उठाई और एमएच रेसिडेंसी के पक्ष में आदेश पारित कर दिया जबकि नियमानुसार अगर किसी भी एसडीएम को संदेह है कि उक्त आदेश में या मैप में छेड़छाड़ है तो उसको संज्ञान लेकर जांच कराई जा सकती है लेकिन इस मामले पर इस पक्ष को भी दरकिनार कर दिया गया।

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एसडीएम को रोड के आसपास आबादी दिखती है...
एमएच रेसिडेंसी ने आसपास की जिस जमीन को खरीद सरकारी तौर पर रोड निकलवाई है उसके संबंध में जो तथ्य प्रस्तुत किए गए उसको एसडीएम ने बिना अवलोकन करें ही मान लिया कोई भी सार्वजनिक हित की सड़क के लिए यह देखा जाता है कि आसपास उस सड़क का उपयोग करने वाले लोग हैं नही लेकिन यहां पर तो आसपास गन्ने के खेत ही हैं कोई भी उस सड़क का उपयोग नहीं कर सकता क्योंकि डेढ़ किलोमीटर एम एच रेसिडेंसी यहां पर बन रही है जहां पर आबादी रहेगी यानी कि यह पूरी सड़क जो है बिल्डर के लिए बनाई गई जो कि एक निजी कॉलोनी है। उसको सरकारी तौर पर सड़क कैसे दे दी गई यह भी बड़ा सवाल है लेकिन एसडीएम ने इस तत्व को भी यहां पर दरकिनार कर दिया।

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वकील ने कहा मुझे कोरोना एसडीएम ने कहा हम क्या करें...
अधारताल एसडीएम इस कदर बिल्डर प्रदीप गोटिया के पक्ष में खड़े रहे कि अपील कर्ता शैलेश जॉर्ज के वकील ने एक आवेदन लगाया कि मुझे कोरोना हो गया है और डॉक्टर ने मुझे घर में ही रहने की सलाह दी है लिहाजा 15 दिन बाद का वक्त मुझे दे दिया जाए उस से बेखबर होकर एसडीएम रिसभ जैन ने आवेदन पर कोई भी संज्ञान नहीं लिया और न सुनवाई का अवसर दिया एक या दो बार की पेशी ही यहां पर हुई होगी और एकतरफा अपना मन बना कर प्रदीप गोटिया के पक्ष में आदेश पारित कर दिया गया

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कब क्या हुआ यहां समझिए
1 मार्च 2020 को अपील प्रस्तुत की गई
2 मार्च को स्टे आदेश मिला
19 अगस्त को पेशी मिली जिसमें की मूल रिकॉर्ड ही गुम हो गए
मूल रिकॉर्ड में 5 लिमिटेशन का   आवेदन था जो नहीं मिला
8 अगस्त की पेशी थी जिसमें अधिवक्ता का स्वास्थ्य खराब होने पर 15 दिन का वक्त मांगा गया जो  नहीं दिया गया
8 अगस्त 2020 के बाद प्रकरण में कोई डेट नहीं दी गई जिसकी शिकायत कलेक्टर जबलपुर के यहां की गई
19 अक्टूबर 2020 को प्रकरण स्थानांतरण के लिए कलेक्टर महोदय को आवेदन प्रस्तुत किया गया जिसमें अगली तिथि 23 नवंबर 2020 मिली और रीडर ने कहा रिकॉर्ड बुलाया गया इसी बीच अपीलकर्ता  को सुने बिना 7 नवम्बर 2020 को अपील निरस्त कर दी गई।

 

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