Edited By meena, Updated: 08 May, 2020 01:28 PM
मध्य प्रदेश में गुरुवार को सीएम शिवराज सिंह ने बड़ा फैसला लेते हुए श्रम कानूनों में कई अहम बदलाव किए हैं। जिसके बाद कोरोना संकट में उद्योग धंधों के लिए अनुकूल वातावरण तो बनेगा ही, राज्य के मजदूरों की जेब में भी ज्यादा पैसा आएगा। इस ऐतिहासिक बदलाव की...
भोपाल: मध्य प्रदेश में गुरुवार को सीएम शिवराज सिंह ने बड़ा फैसला लेते हुए श्रम कानूनों में कई अहम बदलाव किए हैं। जिसके बाद कोरोना संकट में उद्योग धंधों के लिए अनुकूल वातावरण तो बनेगा ही, राज्य के मजदूरों की जेब में भी ज्यादा पैसा आएगा। इस ऐतिहासिक बदलाव की जानकारी सीएम शिवराज सिंह ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दी।
उद्योगों में नहीं होगी सरकारी दखलअंदाजी...
सीएम शिवराज सिंह ने उद्योगों के विकास के लिए जरुरत से ज्यादा दखलअंदाजी खत्म करते हुए सारे अधिकार उद्योग मालिकों को सौंप दिए। उद्योगों को अपनी सुविधानुसार कर्मचारियों के काम करने में घंटों में परिवर्तन का अधिकार होगा। अब फैक्ट्रियों में मजदूरों से 12 घंटे भी काम कराया जा सकेगा। लेकिन इसके लिए मजदूरों को ओवरटाइम देना जरुरी होगा। जिससे मजदूरों को आर्थिक लाभ होगा। अब सप्ताह में 72 घंटे तक काम करने की मंजूरी होगी। काम करने की अतिरिक्त अवधि का भुगतान श्रमिकों को दिया जाएगा। फैक्ट्री एक्ट के अंतर्गत इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है।
श्रम कानून में बदलाव...
प्रदेश सरकार ने उद्योगों के अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने श्रमिकों के हितों का भी ध्यान रखा है। इसलिए श्रम कानून में भी कई जरूरी बदलाव किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रमिकों के स्वास्थ्य, आजीविका और सुरक्षा में किसी भी प्रकार का समझौता स्वीकार नहीं होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उद्योग, कारोबार, निर्माण एजेंसियों के लाइसेंस और पंजीयन अब एक दिन में होगा। पहले इस प्रक्रिया में तीस दिन लगता था।
उद्योगों के विकास और मजदूरों के हित के लिए
- संविदा स्वयं विनियमन एवं प्रतिबंध अधिनियम, 1970
- मध्यप्रदेश दुकान एवं स्थापना अधिनियम ,1958
- अंतरराज्यीय प्रवासी कर्मकार अधिनियम, 1979
- मध्य प्रदेश श्रम कल्याण निधि अधिनियम, 1982
इसके अलावा जिन कानूनों में केंद्र सरकार को बदलाव के अधिकार हैं, उनके प्रस्ताव भी केंद्र को भेजे गए हैं। शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने लोकसेवा अधिकार कानून में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी है। इस कानून में संशोधन के बाद एक दिन में लाइसेंस और पंजीयन का काम संपन्न नहीं होने पर संबंधित अफसर जिम्मेदारी होगा और उस पर कार्रवाई भी की जा सकेगी।
मध्य प्रदेश में उद्योग, कारोबार, श्रम और निर्माण से संबंधित इन कानूनों में बदलाव का ऐलान किया है। शिवराज सरकार द्वारा नया कानून बनाए जाने के बाद इस तरह होगा उद्योगों और श्रमिकों को लाभ-
- फैक्ट्री लाइसेंस का रिन्यूअल अब 10 साल में होगा। पहले 1 साल में कराना होता था लाइसेंस रिन्यूअल।थर्ड पार्टी निरीक्षण के लिए रजिस्ट्रेशन अब मुंबई में नहीं होगा।
- अब एमपी के लेबर कमिश्नर रजिस्ट्रेशन के लिए अधिकृत होंगे।
- लेबर कमिश्नर दफ्तर से किया जा सकेगा थर्ड पार्टी निरीक्षक का रजिस्ट्रेशन।
- श्रम कानून में कारखानों में 61 रजिस्टर रखने का प्रावधान खत्म।
- 13 रिटर्न दाखिल करने का प्रावधान खत्म।
- 1 रजिस्टर और 1 रिटर्न दाखिल करने का प्रावधान लागू।
- कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट में संपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए मिलेगा लाइसेंस।
- नए कारखानों का पंजीयन या लाइसेंस ऑनलाइन मिलेगा।
- स्टार्ट अप उद्योगों को ऑनलाइन लाइसेंस से फायदा मिलेगा।
- स्टार्ट अप उद्योगों के लिए लाइसेंस रिन्यूअल के प्रावधान खत्म किए गए।
- दुकान स्थापना अधिनियम में बदलाव कर सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक दुकान खोलने की मंजूरी दी गई।अधिसूचना जारी।
- नियोजक थर्ड पार्टी से कारखानों का निरीक्षण करा सकेगा।
- इंस्पेक्टर राज से मुक्त होंगे कारखाने।
- थर्ड पार्टी निरीक्षण के लिए रजिस्ट्रेशन अब मुंबई में नहीं होगा।
- अब एमपी के लेबर कमिश्नर रजिस्ट्रेशन के लिए अधिकृत होंगे।
- लेबर कमिश्नर दफ्तर से किया जा सकेगा थर्ड पार्टी निरीक्षक का रजिस्ट्रेशन।
- श्रम कानून में कारखानों में 61 रजिस्टर रखने का प्रावधान खत्म।
- 13 रिटर्न दाखिल करने का प्रावधान खत्म।
- 1 रजिस्टर और 1 रिटर्न दाखिल करने का प्रावधान लागू।
- छोटी उद्योग इकाइयों को निरीक्षण की अनिवार्यता से मुक्ति।
- लेबर इंस्पेक्टर अब छोटी उद्योग इकाइयों में निरीक्षण के लिए नहीं जाएंगे।
- विवादों के निराकरण के लिए लेबर कोर्ट जाने की अनिवार्यता खत्म।
- औद्योगिक विवाद अधिनियम के अंतर्गत दंड की धाराओं में कंपाउंडिंग के प्रावधान की कोशिश।
- कोर्ट जाने की झंझट से मुक्ति के लिए प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जा रहा है।
- सैलरी ठीक से मिले इसके लिए उद्योग श्रमिकों का चयन कर सकेंगे।
- 100 से कम श्रमिक के साथ काम करने वाले उद्योगों को औद्योगिक नियोजन अधिनियम के प्रावधान से मुक्ति।
- उद्योगों को अपनी जरूरत के मुताबिक श्रमिक रखने की छूट होगी।
- उद्योगों को में 100 से अधिक श्रमिक होने पर ही ये कानून लागू होगा।
- फैक्ट्री एक्ट प्रावधान के अंतर्गत बिजली से चलने वाली इकाइयों को 10 श्रमिक से बढ़ाकर 50 श्रमिक करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया गया है।
- कारखाना अधिनियम में बिजली के बगैर चलने वाले उद्योगों को रजिस्ट्रेशन के लिए 20 श्रमिक की सीमा हटाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया गया है।
- ठका श्रमिकों को 20 श्रमिक पर पंजीयन करने का प्रावधान खत्म, अब सीमा बढ़ाकर 50 श्रमिक कर दी गई है।
- कारखाना अधिनियम में सुरक्षा संबंधी प्रावधान यथावत रहेंगे. जो छूटें दी गई हैं वे 3 माह के लिए ही वैध होंगी।
- 1000 दिन में छूट का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है।
- 100 श्रमिकों के उद्योगों की सीमा बढ़ाकर 300 श्रमिक करने के लिए फैक्ट्री लॉ में बदलाव कर रहे हैं.-निरीक्षण की व्यवस्था को पारदर्शी बनाया गया है.
- सिंगल विंडो सिस्टम विभिन्न सेवाओं के लिए शुरू की गई।
- पंजीयन एवं रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी है।