Edited By meena, Updated: 17 Jul, 2025 08:17 PM

रिपोर्ट में पता चला है कि बच्चों को बुखार में दी जा रही पैरासिटामॉल सिरप गुणवत्ता जांच में फेल हो गई है...
बालाघाट (हरीश लिलहरे) : मध्य प्रदेश सचमुच अजब है और यहां की कहानियां गजब है। जहां बालाघाट जिला चिकित्सालय में लगभग 9 लाख रूपये के इंजेक्शन चोरी होने के सनसनीखेज मामलें के बाद एक और अजीबो गरीब मामला सामने आया है। दरअसल जिले के शासकीय अस्पतालों में बच्चों को दी जा रही दवाओं की गुणवत्ता की शासकीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला से आई रिपोर्ट में हैरान कर देने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में पता चला है कि बच्चों को बुखार में दी जा रही पैरासिटामॉल सिरप गुणवत्ता जांच में फेल हो गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि ये सिरप साल 2023 में सैंपल के तौर पर लिया गया था और अब जून 2025 में रिपोर्ट सामने आई कि यह सिरप अमानक है। यह मामला दर्शाता है कि बच्चों की सेहत के नाम पर चल रहे शासकीय इंतज़ाम कितने लापरवाह हो सकते हैं।
जिले भर में बांटी गई यह सिरप धार की एक दवा कंपनी ने सप्लाई की थी और इसका बैच नंबर 4179 है। जो कि चार हज़ार की क्वांटिटी में मंगवाई गई थी। जांच में सामने आया है कि इस सिरप में पैरासिटामॉल पूरी तरह से घुल नहीं रहा था जिसका सीधा असर दवा की प्रभावशीलता पर पड़ा। इसका मतलब ये है कि बच्चों को दी जा रही ये दवा बुखार के इलाज में बेअसर साबित हो रही थी। गौर करने वाली बात यह भी है कि पिछले तीन महीनों में यह दूसरी बार है, जब शासकीय आपूर्ति की कोई दवा जांच में फेल पाई गई है।

इस पूरे मामले में विशेष बात यह है कि 2023 में ही इस सिरप की सप्लाई भी हो गई थी, सैंपलिंग भी उसी वर्ष की गई, जबकि 2024 में जिलेभर में इसका वितरण हुआ। और अब दो साल बाद यानि जून 2025 में जब रिपोर्ट आई, तो यह सिरप अमानक पाई गई।

गौरतलब है कि इससे स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लग रहा हैं। सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि दवा की सैंपलिंग होने के बाद उसकी जांच रिपोर्ट आने के पहले ही कैसे उसका वितरण कर दिया गया? बच्चों की सेहत से जुड़े इस मामले में लगभग ढाई वर्ष बाद जांच रिपोर्ट का अमानक आना भी हैरान करते हुए सिस्टम पर सवाल खड़ा करता है।