संघ के सर्वे में दलबदलुओं की हालत खस्ता, अब दूसरी रणनीति पर विचार

Edited By Vikas kumar, Updated: 31 May, 2020 06:22 PM

the condition of the defectors in the survey of the union is poor

मध्यप्रदेश में कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले नेताओं का चुनाव उतरना लगभग तय माना जा रहा है। भाजपा अपने वादे के मुताबिक, उन्हें टिकट तो दे रही है, लेकिन संबंधित नेताओं को लेकर आम जनता के बीच एक आ ...

मध्यप्रदेश डेस्क (हेमंत चतुर्वेदी): मध्यप्रदेश में कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले नेताओं का चुनाव उतरना लगभग तय माना जा रहा है। भाजपा अपने वादे के मुताबिक, उन्हें टिकट तो दे रही है, लेकिन संबंधित नेताओं को लेकर आम जनता के बीच एक आक्रोश पार्टी के लिए मुसीबत का साबित हो सकता है, सूत्रों के मुताबिक यह बात कहीं और से नहीं, बल्कि संघ के एक गोपनीय सर्वे में ही निकलकर सामने आई है। सर्वे के मुताबिक सभी नेताओं से आम जनता काफी नाराज है, और एक बार फिर उन पर भरोसा जताने को तैयार नहीं है, अगर ऐसा होता है तो मध्यप्रदेश में सत्ता की बाजी पलट सकती है और कांग्रेस मजबूत होकर भाजपा के हाथ से सत्ता छीन सकती है। 

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- क्या कहती है सर्वे की रिपोर्ट ?
दरअसल सर्वे की रिपोर्ट की मानें, तो जो नेता कांग्रेस से भाजपा में आए हैं, अधिकतर जगह पर न तो उन्हें खुद के पूर्व कांग्रेस समर्थकों का साथ मिल रहा है और न ही भाजपा कार्यकर्ताओं का। इसके अलावा दूसरी तरफ कांग्रेस भी जनता को यह भरोसा दिलाने में सफल साबित हो रही है, कि संबंधित नेताओं ने जनादेश को नीलाम किया है। रिपोर्ट में यह भी बात सामने आई है, कि प्रदेश की जनता सिर्फ 15 महीने में ही भाजपा द्वारा कमलनाथ सरकार गिराने से नाखुश है, जिसका खामियाजा उसे उपचुनाव में भुगतना पड़ सकता है। 

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- नाराज नेता भी खड़ी सकते हैं परेशानी...
इस दौरान भाजपा के कुछ ऐसे नेता भी उपचुनाव में उसके लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं, जो पिछली बार चुनाव हार गए थे, और अब उनकी विधानसभा से कांग्रेस से आए नेताओं को मौका मिल रहा है। दीपक जोशी, जयभान सिंह पवैया और गौरीशंकर बिसैन जैसे कई नेताओं की नाराजगी अलग अलग स्तर पर दिखाई भी दे चुकी है। माना जा रहा है, कि यह नाराजगी उपचुनाव में भाजपा को काफी नुकसान पहुंचा सकती है, हालांकि पार्टी के कुछ बड़े नेताओं को इन्हें मनाने की जिम्मेदारी दी जा चुकी है। 

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- क्या होगी आगे की रणनीति ?
भाजपा के लिए इस मुसीबत भरे दौर में संघ एक बार फिर मोर्चा संभाले हुए नजर आ सकता है। संघ ने अपने कार्यकर्ताओं की संबंधित विधानसभाओं में तैनाती करनी शुरू कर दी है, जो पूरा चुनाव प्रचार मैनेज करने के साथ जमीनी मुद्दों पर काम करेंगे। इसके अलावा उपचुनाव से पहले राहत के तौर पर शिवराज सरकार कुछ बड़ी घोषणाएं भी कर सकती है, और संबंधित क्षेत्र को उसकी जरूरत के मुताबिक कोई सौगात से नवाजा जा सकता है। इसके साथ ही संबंधित विधानसभाओं में प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों की नियुक्ति भी कर दी गई है, जिनके अंडर में क्षेत्रीय कार्यकर्ता काम करेंगे
 

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