धर्मनगरी की साख में बट्टा लगा रहे हैं चित्रकूट के संत, कोई हटा रहा तो कोई बना रहा महंत

Edited By meena, Updated: 21 Nov, 2020 04:20 PM

the saints of chitrakoot are giving credence to the credibility of dharmanagri

धर्म नगरी चित्रकूट से एक नई परंपरा की शुरुआत करते हुए यहां के एक धड़े के संतों ने बिना अखाड़ा परिषद को बुलाए ही एक संत को महंत की गद्दी पर बैठा दिया। विरक्त संत मंडल के नाम पर अलग संगठन बनाकर जानकी कुण्ड के राम नगर स्थित एक आश्रम में आश्रम की महंती...

सतना(रविशंकर पाठक): धर्म नगरी चित्रकूट से एक नई परंपरा की शुरुआत करते हुए यहां के एक धड़े के संतों ने बिना अखाड़ा परिषद को बुलाए ही एक संत को महंत की गद्दी पर बैठा दिया। विरक्त संत मंडल के नाम पर अलग संगठन बनाकर जानकी कुण्ड के राम नगर स्थित एक आश्रम में आश्रम की महंती का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें चित्रकूट के सात अखाड़ों में से किसी को भी नहीं बुलाया गया। विरक्त मंडल के द्वारा पहली बार आयोजित किए गए इस महंती कार्यक्रम में जानकी कुण्ड पंजाबी भगवान आश्रम के महंत राजकुमार दास को विरक्त मंडल साधु समाज का अध्यक्ष बनाया गया है। कामदगिरि पीठाधीश्वर जगदगुरु रामस्वरूपचार्य की मौजूदगी में हुए इस महंती कार्यक्रम में सैकड़ों साधु संत रहे उपस्थित थे। लेकिन इसी के साथ चित्रकूट के संत समाज में खुलकर रार सामने आ गई है।

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बीते दिनों पूर्व निर्मोही अखाड़े में हुए महंती कार्यक्रम में विरक्त मंडल संगठन का एक भी साधू सम्मिलित नहीं हुआ था। निर्मोही अखाड़ा में महंती के दौरान कामदगिरि पीठाधीश्वर रामस्वरूपाचार्य जी को जगद्गुरु पद्मभूषण रामभद्राचार्य जी की मौजूदगी में जगद्गुरु की पदवी से हटा दिया गया था। दूसरी तरफ राम रामस्वरूपाचार्य जी के साथ ही विरक्त मंडल संत समाज ने निर्मोही अखाड़े के दोनों नए महंतों को महंत मानने से किया इनकार कर दिया है और कहा है कि ओंकार दास अभी भी निर्मोही अखाड़ा के महंत हैं। जगदगुरु रामस्वरूपाचार्य ने कहा कि पैसे लेकर और द्वेष बस किसी को महंती से नहीं हटाया जा सकता है। इस महंती के बाद चित्रकूट में साधु समाज स्पष्ट रूप से दो खेमों में बंट गया है। इसमें से अखाड़ों का नेतृत्व जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी कर रहे हैं तो दूसरी तरफ बिरक्त संत मंडल का नेतृत्व रामस्वरूपाचार्य, राजकुमार दास आदि कर रहे हैं।

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दुर्भाग्य से चित्रकूट के संतों के इस तमाशे और स्वयंभू बनने की ख्वाहिश के चलते धर्म नगरी की साख को बट्टा लग रहा है। लाखों करोड़ों वर्षों की त्याग और तपस्या से धर्म नगरी की बनाई साख को स्वयंभू बनने की चाहत रखने वाले कुछ साधु - संत जहां गर्त में मिलाने का काम कर रहे हैं। वहीं अब चित्रकूट में संस्कारों और नियमों से नहीं बल्कि संतो के संगठन बहुमत से बनेंगे। साथ ही महन्त, जगतगुरु, महामंडलेश्वर की पदवी अब के बाद बहुमत से आया और जाया करेगी।

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