इंदौर में 10 साल से एक ही TI का दबदबा, DGP से नहीं, खुद की मर्जी से होती है इनकी पोस्टिंग

Edited By meena, Updated: 31 Aug, 2019 05:50 PM

the same ti dominates in indore for 10 years

इंदौर के इस अफसर की वर्दी में लगते तो तीन सितारे हैं लेकिन इसका जलवा अशोक स्तंभ लगाने वाले अफसर से कम नहीं। ये अपनी मर्जी के मालिक हैं जब जहां चाहे पोस्टिंग करा लेते हैं। जिस थाने में उनका मन वहीं पर थानागिरी करते हैं ये इंदौर के इकलौते टीआई हैं जो...

इंदौर(ब्यूरो): इंदौर के इस अफसर की वर्दी में लगते तो तीन सितारे हैं लेकिन इसका जलवा अशोक स्तंभ लगाने वाले अफसर से कम नहीं। ये अपनी मर्जी के मालिक हैं जब जहां चाहे पोस्टिंग करा लेते हैं। जिस थाने में उनका मन वहीं पर थानागिरी करते हैं ये इंदौर के इकलौते टीआई हैं जो 10 सालों से इंदौर में ही जमे हुए हैं। कुछ महीनों के लिए इंदौर के ही ज़ोन में आने वाले अन्य थानों में चले जाते हैं और चंद महीनों बाद फिर इंदौर में इनकी दस्तक हो जाती है। खास बात तो यह है की एक थाना इनको सबसे ज्यादा पसंद है और उस थाने में इनकी एक बार नहीं तीन बार पोस्टिंग हो चुकी है और वो थाना है चंदननगर और बात हो रही है चंदन नगर थाना प्रभारी विनोद दीक्षित की जो अपनी दबंगई के लिए एक थाने में 3 बार की पोस्टिंग और एक ही जिले में 10 साल जमे रहने को लेकर चर्चा में हैं।

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इनका रुतबा ऐसा कि नियम और कायदे भी इनके सामने बौने हो जाते हैं आखिर 10 साल से कैसे जमे हैं इंदौर में और एक ही थाने में तीन बार इनकी कैसी हुई पोस्टिंग यह सवाल है जिनका जवाब जनता भी चाहती है और जनप्रतिनिधि भी लेकिन इसका जवाब कोई नहीं दे पा रहा 3 बार से एक ही थाने में पोस्टिंग मिलने के बाद भी इन्होंने कोई बड़ा कारनामा नहीं किया बल्कि जब भी इनको थाने की कमान मिली वहां पर गुंडों को संरक्षण मिला और अपराध का ग्राफ बढ़ता ही गया फिर भी चंदन नगर थाना इनकी पहली पसंद बना रहा।

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गुंडों में नहीं पुलिस का खौफ
अक्सर पुलसिंग में यह कहा जाता है कि पुलिस का खौफ गुंडों पर हो लेकिन थाना चंदननगर की कहानी हटकर है यहां पर विनोद दीक्षित का खौफ गुंडो पर नहीं जनता पर है वह खुद को हिटलर समझते हैं शराब की दुकान 12 बजे तक खुली रहे लेकिन मेडिकल की शॉप 10  बजे ही टीआई साहब बंद करवा देते हैं जो वास्तविक गुंडे हैं वह खुलेआम घूम रहे हैं लेकिन उससे उलट छोटे-मोटे अपराधियों को डरा धमका कर पैसे वसूलना इनकी फितरत में शामिल हो गया है, थाना चंदन नगर में समीर खान जैसे गुंडों की फाइल जिला बदर के लिए पड़ी है लेकिन टीआई इन गुंडों को छोड़कर अपनी दुकान जमा रहे हैं।

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टीआई जब थाना आजाद नगर में थे तब भी उनका यही हाल था और जब चंदन नगर की फिर से पोस्टिंग मिली तो यही तस्वीरें नजर आने लगी हैं। इनके इलाके में अवैध नशे का कारोबार फल फूल रहा है लेकिन उस पर कोई भी कार्रवाई नहीं होती है। वह इस बात की तलाश में रहते हैं कि कोई ऐसा व्यक्ति मिल जाए जो पैसे वाला हो और उस को डरा धमकाकर पैसे वसूले जाए यही सोच को रखकर वह इस थाने में तीसरी बार पैर जमा रहे है। टीआई साहब का साथ देने के लिए यहां पर पदस्थ सब इस्पेक्टर अश्विनी चतुर्वेदी भी इनके नक्शे कदम पर चल रहा है टीआई के इशारे पर रोज नए-नए मुर्गे तलाश कर लेकर आता है ताकि टीआई साहब का मंथली टारगेट पूरा हो सके। 

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एक ही थाने में 3 बार पोस्टिंग
थाना चंदननगर में ये साल 2014, 2016 और अब 2019 में फिर थाना प्रभारी के रूप में आ चुके हैं। उनकी पोस्टिंग के साथ ही जिले में अपराध का ग्राफ बढ़ने लगता है। उनके कार्यकाल के क्राइम रिकॉर्ड की तलाश से पता चलता है कि यह सबसे असफल थाना प्रभारी साबित हुए हैं। साल 2014 में जब यह थाना प्रभारी थे तब इनके कार्यकाल में 28 हत्या के मामले सामने आए थे और 1 साल में अपराध का ग्राफ 2000 हो गया था। अपराधों पर कोई भी अंकुश नहीं लगा था। नशीले पदार्थों की बिक्री जोरों पर थी और गुंडे हावी होते जा रहे थे। 2014 में गुंडा अभियान जब शुरू हुआ। उस वक्त भी यह गुंडों को बचाने के लिए पूरी कोशिश करते नजर आए।

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गुंडों की फाइलें दबा ली। इसी लापरवाही के कारण इनको थाना प्रभारी चंदन नगर से अलग कर दिया गया था। 2016 में भी जब इनको कमान मिली उस वक्त भी इनका वहीं हाल था। खुलेआम गुंडे घूमने लगे अवैध गतिविधियां पनपने लगी लेकिन मंथली पैकेज लेकर बैठने वाले साहब अपने तरीके से काम करते हैं। साहब ऐसे हैं जो कि उच्च अधिकारियों की सुनते और न ही नेताओं की बात मानते है। जबकि बाहरी तौर पर ऐसा दिखाने की कोशिश करते हैं जैसे कि इनसे ईमानदार कोई थाना प्रभारी ही नहीं है लेकिन आंतरिक तौर पर इनके किस्से सबको पता है एक बार फिर अब इनको 2019 में थाना प्रभारी चंदन नगर की कमान मिली है। चंद दिनों के अंदर ही इन्होंने अपना खेल खेलना शुरू कर दिया।

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पहले मामला दर्ज करो, फिर वसूलों धन
डरा धमका कर शुरू करो वसूली, थाना प्रभारी विनोद दीक्षित के पैसे कमाने का तरीका कुछ हटकर ही है इन्होंने पूरी एक टीम बना कर रखी है इनके पास कोई भी मामला आता है तो मीडिया को नहीं बताते छोटे मामले को बड़ा बताकर सामने वाले आरोपी के मददगार के रूप में सामने आते हैं उसके सामने ऐसा चक्रव्यूह  रचते हैं मानो की उसने सबसे बड़ा संगीन अपराध कर लिया है। उसके बाद उसको डराते हैं धमकाते हैं और फिर खुद ही फरार होने के नुस्खे बताते हैं उसके घर में सिपाही भेज दिया जाता है कहा जाता है कि अब फरार हो जाओ नहीं तो आप को पकड़ लेंगे। मैं आपकी मदद कर रहा हूं इसलिए आपको बोल रहा हूं यह सब पूरा नुस्खा सिर्फ इसलिए होता है कि सामने वाला मामूली आरोपी भी खुद को बड़ा गुनाहगार समझे और टीआई  के समक्ष प्रस्तुत होकर अपनी पूरी संपत्ति रख दे। 


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मैडम बढ़ा देंगी धाराएं थाना प्रभारी चंदन नगर का डायलॉग
विनोद दीक्षित का इस समय सबसे बड़ा डायलॉग एसएसपी रुचि वर्धन मिश्रा को लेकर है। वो मैडम जी को नक्शे पर लाकर सामने वाले को डरवाने का काम करते हैं। तुम्हारी फाइल क्राइम ब्रांच को पहुंच चुकी है मैडम के पास अगर फाइल पहुंची तो वे  इनाम घोषित कर देंगे। तुम्हारे ऊपर यह धाराएं और बढ़ा दी गई हैं अगर एक बार फाइल मैडम के पास पहुंची तो मैं कुछ नहीं कर सकता मैडम मेरे ऊपर दबाव डाल रही हैं कि  को गिरफ्तार करो तुम को घसीट कर लेकर आओ यह वह सब डायलॉग है जो टीआई साहब की जुबान पर हैं ये पूरे डायलॉग मैडम को लेकर टीआई साहब सिर्फ बोलते हैं ताकि सामने वाला उच्च अधिकारियों के बातों को गौर कर भयभीत हो जाए लेकिन यहां सच ये है की ऐसे कोई भी निर्देश उच्च अधिकारियों की तरफ से नहीं दिए जाते। 


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10 सालों से जमे हैं इंदौर में
इंदौर के अनेक थाना प्रभारी 5 साल से ज्यादा किसी भी शहर में नही रह सकते लेकिन विनोद दीक्षित ऐसे थाना प्रभारी हैं जो इंदौर जोन में 10 सालों से काम कर रहे हैं। 7 साल की सर्विस तो इन्होंने इंदौर जिले में ही निकाली है और सबसे पसंदीदा थाना इनका चंदननगर ही रहा है। इस थाने को पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है।

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ट्विंकल डागरे हत्याकांड के आरोपी भाजपा नेता का किया था बचाव
इंदौर के बाणगंगा इलाके के चर्चित ट्विंकल डागरे के केस में पहले जांच अधिकारी रहे दो टीआई को पुलिस मुख्यालय अटैच किया गया था। बाद में इन दोनों को धार में पदस्थ किया गया था।अक्टूबर 2016 में ट्विंकल लापता हुई थी और फरवरी 2017 में अपहरण का केस बाणगंगा थाने में दर्ज हुआ था। शुरुआती दिनों में थाना प्रभारी विनोद दीक्षित थे, उनके हटने के बाद तारेश सोनी को बाणगंगा प्रभारी बनाया गया था।  प्रदेश में जब कांग्रेस की आई तो पुलिस ने ट्विंकल की हत्या का खुलासा करते हुए भाजपा नेता जगदीश करोतिया व बेटों को गिरफ्तार किया। खुलासे के बाद परिवार के लोगों ने पुलिस पर लापरवाही के आरोप लगाए जिस पर सीएम कमलनाथ से एडीजी वरुण कपूर से रिपोर्ट भी मांगी थी। उसके बाद जारी 8 निरीक्षकों के तबादला आदेश में विनोद दीक्षित व तारेश सोनी के भी नाम आए थे। इन्हें पुलिस मुख्यालय भेजा गया था।

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ट्विंकल डागरे के लापता होने के बाद से ही परिवार के लोग भाजपा नेता जगदीश करोतिया व परिवार पर आरोप लगा रहे थे। आरोप था कि राजनीतिक दबाव में पुलिस ने उस समय कार्रवाई नहीं की। जब प्रदेश में सरकार बदली तो अचानक केस में तेजी आई और फिर पुलिस ने सबूत जुटाने के बाद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। सीएसपी अजय जैन की भूमिका को लेकर भी सवाल उठाए गए थे। पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता पर भी आरोपियों की मदद करने का आरोप था,लेकिन सब से बड़ी भूमिका इस मे थाना प्रभारी विनोद की थी जो बीजेपी नेता के साथ रिश्तेदारी निभा रहे थे। 

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