विदिशा की यह अम्मा बनी मानवता की मिसाल, मुख्यमंत्री राहत कोष में दिए लाखों रुपए

Edited By meena, Updated: 31 Mar, 2020 11:52 AM

this amma of vidisha became the example of humanity

कोरोना के कहर के बीच जहां लॉकडाउन के कारण भूखमरी जैसे हालात बन गए। लोग घरों में रहकर अपना निर्वाह कर रहे हैं। वहीं मध्यप्रदेश के विदिशा जिले की 82 वर्षीय वृद्ध महिला सलभा उसकर ने संकट की इस घड़ी में लोगों के लिए मिसाल कायम की। कोरोना वायरस महामारी...

विदिशा(अभिनव चतुर्वेदी): कोरोना के कहर के बीच जहां लॉकडाउन के कारण भूखमरी जैसे हालात बन गए। लोग घरों में रहकर अपना निर्वाह कर रहे हैं। वहीं मध्यप्रदेश के विदिशा जिले की 82 वर्षीय वृद्ध महिला सलभा उसकर ने संकट की इस घड़ी में लोगों के लिए मिसाल कायम की। कोरोना वायरस महामारी के दौर में खुद को घर में बंद करने के साथ इन्होंने जो किया, वह इतना प्रेरित कर देने वाला है कि उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल महसूस होता है। सलभा उसकर विदिशा की अरिहंत विहार कॉलोनी में 600 स्क्वायर फीट के मकान में ये रहती हैं और शिक्षा विभाग से रिटायर्ड हैं। विदिशा की इस "दरिया दिल अम्मा" ने अपनी पेंशन में से 100000 का दान मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए दिया है।

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यह दरियादिली इतनी खामोशी से हुई कि अफसरों के हाथ में दान का चैक पहुंचा तो वह भोचक्के रह गए। दरअसल, नोडल अधिकारी विनय प्रकाश सिंह को अखबार में नंबर देखकर उन्होंने कॉल किया कि वह कुछ दान करना चाहती हैं। विनय प्रकाश सिंह ने उन्हें घर पर रहने की सलाह देते हुए कहा कि वे किसी को भेजकर चैक कलेक्ट करवा लेंगे पर जब उनके हाथ में दान का चैक पहुंचा तो उनकी आंखें भीग उठी। इस दान के आगे आभार शब्द इतना बौना था कि उसे लफ्जों में पिरोना मुश्किल था।

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कोरोना सकंट से दो रोटी के लिए मोहताज उन लोगों के लिए अम्मा ने 10 -20 हजार रुपए नहीं बल्कि पूरे 100000 अपनी पेंशन की राशि में से दान किए हैं और वो भी बिना फोटो सेशन, बिना प्रदर्शन और बगैर तामझाम के बेहद खामोशी से। मानवता की देवी इस अम्मा के राष्ट्र के प्रति उनका समर्पण, निष्ठा और त्याग, को देखकर हर एक का सिर सजदे में झुके बिना न रह पाएगा।

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