क्या जयवर्धन का विधानसभा टिकट भी काटेंगे पटवारी? जानिए किस फार्मूले से मच गई खलबली…

Edited By Himansh sharma, Updated: 25 Aug, 2025 10:20 AM

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साल 2022 में राजस्थान में आयोजित कांग्रेस सम्मेलन में राहुल गांधी ने साफ शब्दों में कहा था कि पार्टी में अब ‘वन मैन, वन पोस्ट’ का नियम लागू होगा

भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस में इन दिनों एक बड़ा सवाल हवा में तैर रहा है — क्या पार्टी अपने ही बनाए नियम पर टिकेगी या फिर चुनाव नजदीक आते ही पुराने ढर्रे पर लौट जाएगी? मामला उन नेताओं का है, जिन्हें हाल ही में जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है, जिनमें जयवर्धन सिंह और ओमकार सिंह जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं।

2022 में बनी थी गाइडलाइन

साल 2022 में राजस्थान में आयोजित कांग्रेस सम्मेलन में राहुल गांधी ने साफ शब्दों में कहा था कि पार्टी में अब ‘वन मैन, वन पोस्ट’ का नियम लागू होगा। यानि, जो नेता संगठन की जिम्मेदारी संभालेंगे, वे चुनाव में टिकट का दावा नहीं कर पाएंगे।

भोपाल में राहुल का कड़ा संदेश

इसी साल राहुल गांधी भोपाल आए और पार्टी के कई अहम नेताओं से बैठक की। इस दौरान उन्होंने दो टूक कहा था — जिलाध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्ष को पूरी ताकत दी जाएगी, उनके बिना कोई निर्णय नहीं होगा, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिलेगा।

जिलाध्यक्ष बने नेताओं में चिंता

अब, जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं, कांग्रेस के भीतर बेचैनी बढ़ने लगी है। पार्टी ने हाल ही में विधायकों और पूर्व विधायकों को जिलाध्यक्ष की कुर्सी सौंपी है। इसमें जयवर्धन और ओमकार जैसे चेहरे सबसे ज्यादा सुर्खियों में हैं। सवाल ये है कि क्या इन नेताओं को इस बार चुनावी मैदान से बाहर रखा जाएगा?

क्या नियम होगा लागू या टूटेगा?

राजनीतिक हलकों में चर्चा जोरों पर है कि क्या कांग्रेस इस नियम पर कड़ाई से अमल करेगी या फिर नेताओं के दबाव में आकर चुनावी टिकट दे देगी। पार्टी के अंदर की रणनीति जानने वाले बताते हैं कि जिलाध्यक्ष की पोस्ट हर कोई चाहता है, लेकिन टिकट गंवाने की कीमत पर नहीं। यही वजह है कि जब इन पदों का वितरण हुआ था, तब कई विधायकों ने खुलकर दावेदारी नहीं की थी।

निगाहें राहुल गांधी पर

अब सबकी नजरें राहुल गांधी और पार्टी हाईकमान पर हैं। क्या कांग्रेस बदलाव का संदेश देते हुए नियम का पालन करेगी, या फिर राजनीतिक समीकरण देखते हुए एक बार फिर “सब चलता है” वाला पुराना रास्ता अपनाएगी?

एक बात तो साफ है, आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर कांग्रेस के भीतर खींचतान और तेज़ होने वाली है, और इसका सीधा असर चुनावी रणनीति पर देखने को मिल सकता है।

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