Edited By meena, Updated: 06 May, 2025 01:58 PM

सीधी जिले के एक छोटे से गांव से निकलकर प्रदेश की प्रवीण सूची में टॉप करने वाले दिव्यांशु तिवारी की कहानी संघर्ष,
सीधी (सूरज शुक्ला) : सीधी जिले के एक छोटे से गांव से निकलकर प्रदेश की प्रवीण सूची में टॉप करने वाले दिव्यांशु तिवारी की कहानी संघर्ष, समर्पण और सपनों का अद्भुत संगम है। मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर बसे इस होनहार छात्र ने जीवविज्ञान संकाय में 500 में से 484 अंक हासिल कर न सिर्फ अपने परिवार बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन कर दिया।
दिव्यांशु के माता-पिता ने बेटे की पढ़ाई के लिए सीधी शहर में किराए का कमरा लिया। उनके पिता एक छोटी-सी इलेक्ट्रॉनिक रिपेयरिंग की दुकान चलाते हैं, जहां वह टीवी और अन्य उपकरण ठीक कर अपनी आजीविका चलाते हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने बेटे की शिक्षा में कभी कमी नहीं आने दी। यही त्याग और समर्पण आज प्रदेश के टॉपर के रूप में सामने आया है।
दिव्यांशु शुरू से ही पढ़ाई में होशियार रहे हैं। हर विषय में गहरी रुचि और मेहनत से उन्होंने हमेशा अव्वल प्रदर्शन किया। उनके शिक्षकों ने भी इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि दिव्यांशु जैसे छात्र शिक्षण व्यवस्था की असली प्रेरणा हैं।

अब दिव्यांशु का सपना डॉक्टर बनने का है। वे चाहते हैं कि शासकीय मेडिकल कॉलेज में दाखिला लें ताकि अपने पिता पर आर्थिक बोझ न पड़े। उनका मानना है कि अगर हौसले मजबूत हों, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रह सकता। उनका संघर्ष उन हजारों विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा है, जो कठिनाइयों के बावजूद अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं।