Edited By suman, Updated: 26 May, 2019 03:16 PM
एमपी की भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह को हराने वाली साध्वी प्रज्ञा व्हीलचेयर पर बैठकर पहली बार संसद पहुंची। शनिवार को एनडीए के नवनिर्वाचित सांसदों की संसद भवन में बैठक हुई। इस बैठक में एनडीए के सभी सांसदों ने पीएम मोदी...
भोपाल: एमपी की भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह को हराने वाली साध्वी प्रज्ञा व्हीलचेयर पर बैठकर पहली बार संसद पहुंची। शनिवार को एनडीए के नवनिर्वाचित सांसदों की संसद भवन में बैठक हुई। बैठक में एनडीए के सभी सांसदों ने पीएम मोदी को संसदीय दल का नेता चुना। इस दौरान कई सांसद ऐसे थे, जो पहली बार संसद पहुंचे थे, ऐसे में उनका उत्साह गजब का था। जब साध्वी प्रज्ञा संसद भवन पहुंची तो वह भी काफी उत्साहित और खुश नजर आयीं। लेकिन इस दौरान पीएम साध्वी को अनदेखा करते नजर आए।
पीएम ने की साध्वी को अनदेखा करने की कोशिश
हालांकि संसद भवन में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नव-निर्वाचित सांसदों का अभिवादन कर रहे थे, तो ऐसा लगा जैसे उन्होंने साध्वी प्रज्ञा को अनदेखा करने की कोशिश की। मिली जानकारी के अनुसार,एनडीए के सांसद बारी-बारी से पीएम मोदी का अभिवादन कर रहे थे। जैसे ही साध्वी प्रज्ञा ने पीएम मोदी का अभिवादन किया तो उन्हें देखकर ऐसा लगा कि पीएम मोदी ने साध्वी प्रज्ञा का अभिवादन तो स्वीकार किया, लेकिन उन्होंने साध्वी प्रज्ञा की ओर देखा नहीं और साइड में देखना शुरु कर दिया और पंक्ति आगे बढ़ गई।
बता दें, साध्वी प्रज्ञा चुनाव प्रचार के दौरान अपने बयानों को लेकर खूब सुर्खियों में रहीं थी। पहले साध्वी प्रज्ञा ने मुंबई हमले के शहीद हेमंत करकरे को लेकर विवादित बयान दिया और बताया कि उनके श्राप के चलते ही हेमंत करकरे की मुंबई हमले के दौरान मौत हुई। साध्वी के इस बयान पर हंगामा होने पर पार्टी ने खुद को इस बयान से अलग कर लिया। इसके बाद साध्वी प्रज्ञा ने बाबरी विध्वंस को लेकर भी कहा कि, वह भी उसमें शामिल थीं और उन्हें इस पर गर्व है। साध्वी के इस बयान पर चुनाव आयोग ने उन्हें 72 घंटो के लिए चुनाव प्रचार से बैन भी किया था। एक अन्य बयान में साध्वी प्रज्ञा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बता दिया था। हालांकि भाजपा ने तुरंत इसका खंडन किया और पीएम मोदी समेत पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं ने इस बयान को लेकर नाराजगी जाहिर की थी।