तंत्र विद्या के लिए विख्यात हरसिद्धि शक्तिपीठ में नवरात्र के पहले ही दिन 1 लाख भक्त उमड़े! दीपमालिका दर्शन के लिए 2026 तक वेटिंग फुल!

Edited By Desh sharma, Updated: 23 Sep, 2025 03:15 PM

the harsiddhi shaktipeeth renowned for its tantra vidya saw a surge of 100 000

उज्जैन के प्रसिद्ध हरसिद्धि शक्तिपीठ में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत श्रद्धा और आस्था के साथ हुई। नवरात्र के पहले दिन ही मां हरसिद्धि के दर्शन के लिए एक लाख से अधिक भक्त पहुंचे। मान्यता है कि इस शक्तिपीठ में माता सती की कोहनी गिरी थी, जहां तांत्रिक आज...

उज्जैन (विशाल ठाकुर): उज्जैन के प्रसिद्ध हरसिद्धि शक्तिपीठ में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत श्रद्धा और आस्था के साथ हुई। नवरात्र के पहले दिन ही मां हरसिद्धि के दर्शन के लिए एक लाख से अधिक भक्त पहुंचे। मान्यता है कि इस शक्तिपीठ में माता सती की कोहनी गिरी थी, जहां तांत्रिक आज भी तंत्र सिद्धि करते हैं। यह मंदिर सम्राट विक्रमादित्य और कवि कालिदास की साधना स्थली भी माना जाता है।

मान्यता है कि यह वही स्थल है जहाँ प्राचीन काल से तांत्रिक साधक तंत्र सिद्धि करते आए हैं। ऐतिहासिक और पौराणिक संदर्भ बताते हैं कि सम्राट विक्रमादित्य और महान कवि कालिदास ने भी यहीं पर साधना की थी, जिससे इस स्थान की आध्यात्मिक महिमा और बढ़ जाती है।

तंत्र साधना का प्रमुख केंद्र

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हरसिद्धि मंदिर को शक्तिपीठों में विशेष स्थान प्राप्त है। शास्त्रों के अनुसार, यहाँ की शक्तिपीठ महत्ता के कारण तांत्रिक साधक विशेष रूप से अमावस्या, नवरात्र और अन्य शुभ अवसरों पर साधना और अनुष्ठान करते हैं। श्रद्धालु मानते हैं कि हरसिद्धि माता की कृपा से तंत्र-साधना में सिद्धि प्राप्त होती है। मंदिर परिसर की ऊँची दीपमालाएँ यहाँ का मुख्य आकर्षण हैं। नवरात्र और विशेष पर्वों के दौरान हजारों दीयों से जगमगाता दीपमालिका दर्शन अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। इसकी भव्यता देखने के लिए देशभर से भक्त आते हैं।

दीपमालिका दर्शन 2026 तक वेटिंग फुल

दीपमालिका दर्शन के लिए इस समय अभूतपूर्व भीड़ देखी जा रही है। मंदिर प्रबंधन के अनुसार, 2026 तक के लिए बुकिंग पूरी तरह फुल हो चुकी है। इसका अर्थ है कि जो श्रद्धालु अब पंजीकरण कर रहे हैं, उन्हें दर्शन के लिए दो साल से अधिक इंतज़ार करना पड़ेगा।

श्रद्धालुओं में उत्साह

भीड़ और लंबी वेटिंग के बावजूद भक्तों में उत्साह कम नहीं हुआ है। उज्जैन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के साथ हरसिद्धि शक्तिपीठ का दर्शन भी तीर्थयात्रा का अहम हिस्सा माना जाता है। स्थानीय गाइड बताते हैं कि विक्रमादित्य और कालिदास से जुड़े किस्सों के कारण यहाँ साहित्यिक और सांस्कृतिक महत्व भी जुड़ा हुआ है।

प्रशासन की तैयारी

श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए मंदिर प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन सुरक्षा, कतार व्यवस्था और प्रकाश सज्जा को और सुदृढ़ करने की योजना बना रहा है। दीपमालिका के समय विशेष पुलिस बल और स्वयंसेवक भी तैनात किए जाते हैं।

नवरात्रि में यहां शयन आरती नहीं होती और गर्भगृह में प्रवेश वर्जित रहता है, लेकिन देवी के रजत मुखौटे के विशेष दर्शन होते हैं। मंदिर की सबसे खास परंपरा है दीपमालिका—यहां दो विशाल दीप स्तंभों पर हर शाम 1011 दीपक जलाए जाते हैं। करीब 51 फीट ऊंचे इन स्तंभों पर चढ़कर 6 लोग केवल 5 मिनट में दीप प्रज्वलित करते हैं, हालांकि पूरी प्रक्रिया में 40 मिनट से ज्यादा समय लगता है। हरसिद्धि मंदिर आस्था, परंपरा और तांत्रिक साधना का अनूठा संगम है, जहां हर नवरात्रि में भक्ति चरम पर होती है।

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