Edited By meena, Updated: 10 Apr, 2021 11:05 AM
कोरोना महामारी के चलते अभी तक आपने मरीजों की अस्पतालों में हो रही अनदेखी और वर्तमान में वैक्सीन को लेकर मारा मारी की बातें सुनी और देखी होंगी। बेशक सीएम शिवराज सिंह चौहान कहते नजर आ रहे हैं कि राज्य में ऑक्सीजन की कमी नहीं है और राज्य में हालात...
इंदौर(सचिन बहरानी): कोरोना महामारी के चलते अभी तक आपने मरीजों की अस्पतालों में हो रही अनदेखी और वर्तमान में वैक्सीन को लेकर मारा मारी की बातें सुनी और देखी होंगी। बेशक सीएम शिवराज सिंह चौहान कहते नजर आ रहे हैं कि राज्य में ऑक्सीजन की कमी नहीं है और राज्य में हालात सामान्य हैं लेकिन इंदौर से एक ऐसी शर्मनाक तस्वीर सामने आई है जिसे देख कर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे।
दिल को दहला देने वाला यह दृश्य सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के बाहर का है जहां अस्पताल के गेट पर मरीज के इलाज के इंतजार में परिजन अपनी बारी का इंतजार करते रहे और मरीज ने उनके सामने तड़पते तड़पते दम तोड़ दिया। कुछ दिन पहले की बात करे तो इसी हॉस्पिटल से एक नर्स का वीडियो इंजेक्शन को लेकर वायरल हुआ था। एक और वीडियो में एक मां ने अपना दर्द बयान किया था जिसने अपनी बेटा खोया था क्योंकि नर्से दूसरे मरीज की खून की जांच करने और इंजेक्शन की कालाबाजारी करने में व्यस्त थी।
बात यदी मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान की करें तो वे एक तरफ इंदौर को अपने सपनों का शहर कहते हैं लेकिन शायद इंदौर के मरीजों का दर्द नहीं दिख रहा होगा क्योंकि साहब दमोह चुनाव में व्यस्त है। भोपाल में बैठ कर सत्याग्रह कर रहे थे और बोल रहे थे घर से मत निकलो और दमोह में बोलते है घर से निकल कर भाजपा को जिताओ और साथ ही प्रदेश के कई मंत्री भी वही डेरा जमाए बैठे है। वहीं बात यदि इंदौर शहर के जिलाधीश मनीष सिंह भी इन दिनों नगर निगम में मास्क की चालान और दुकानें सील करने में व्यस्त हैं।
कोरोना काल अब तक बहुत सी तस्वीरें सामने आई लेकिन यह वीडियो अब तक का सबसे दर्दनाक और भयावह है इससे चिकित्सा सिस्टम की नाकामी, सरकार की बद इन्तजामी, इंदौर प्रशासन की नाकामी जाहिर होती है। आप और हम बेबस परिजनों की तकलीफ देखकर इसे शासन प्रशासन की लापरवाही की हद कह सकते है। कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या से शहर के अस्पतालों में मरीजों के लिए अब जगह नहीं है। क्योंकि आलम यह है कि अस्पतालों में 6878 बेड में से 4391 बेड भरे 1104 आईसीयू में 882 यानी लगभग 80 प्रतिशत से ज्यादा आईसीयू भरे हुए हैं।