Edited By Desh sharma, Updated: 30 Dec, 2025 09:50 PM

छतरपुर में एक बार फिर जनसुनवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं । जनसुनवाई में एक 70 साल के वृद्ध को जो गुस्सा जनसुनवाई में फूटा है वो काफी कुछ बयान कर रहा है। मामला छतरपुर शहर जिला मुख्यालय कलेक्ट्रेट में जिला पंचायत के सभाकक्ष में मंगलवार की जनसुनवाई का है।
छतरपुर (राजेश चौरसिया): छतरपुर में एक बार फिर जनसुनवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं । जनसुनवाई में एक 70 साल के वृद्ध को जो गुस्सा जनसुनवाई में फूटा है वो काफी कुछ बयान कर रहा है। मामला छतरपुर शहर जिला मुख्यालय कलेक्ट्रेट में जिला पंचायत के सभाकक्ष में मंगलवार की जनसुनवाई का है। छतरपुर तहसील के कादरी गांव के 70 वर्षीय स्वामी प्रषाद चौबे आवेदन दिखाते हुए बताते हैं कि वह वर्ष 2010 यानि पिछले 15 सालों से परेशान हैं।
यहां अधिकारी नहीं भिखारी हैं, पागल बनाएं फिर रहे-चौबे
ऑफिस टू ऑफिस और अधिकारी टू अधिकारी चक्कर काट रहे हैं उनकी समस्या का निराकरण और निदान नहीं हो पा रहा । यहां अधिकारी नहीं भिखारी हैं, पागल बनाएं फिर रहे सब भिखारी हैं। सब बेकार हैं, यहां फॉर्मेलिटी होती है, कोई सुनवाई नहीं होती।
अधिकारियों के पास आते है तो कह देते हैं तहसील चले जाओ, SDM के यहां चले जाओ, सिंचाई विभाग चले जाओ, पुलिस विभाग चले जाओ, SDO के यहां चले जाओ, थाने चले जाओ.. सब जगह आवेदन लेकर घूम रहे हैं काम नहीं हो रहा है।
बोला जाता है कि कल आ जाना.. हम कल गए तो बोले परसों आ जाना.. परसों गये तो बोले 1 हफ्ते बाद आना.. 1 हफ्ते बाद गये तो बोले अगले हफ्ते आना.. अगले हफ्ते गये तो बोले अगले महीने आ जाना.. अगले महीने गये.. तो कहा हम देख रहे हैं आप फिर आना... आवेदन तलाशने में ही महीनों और वर्षों लगा रहे हैं, इस तरह सालों हो गये चक्कर लगाते-लगाते..हमने खसरा नंबर 409 की नकल मांगी 1993 से 99 तक की लेकिन अभी तक नहीं मिली है।
फिर कलेक्टर के पास गए चौबे
मामले में जब हमने दादा से पूछा कि आखिर पूरा माजरा क्या है, तो वह बोले कि यह आवेदन पढ़ लो, इतनी देर से हम क्या बोल रहे और कहने लगे कि अब हम कलेक्टर के पास जा रहे हैं।
जनसुनवाई से लौटकर बोले- सिर्फ आश्वासन मिला
जनसुनवाई में आवेदन देकर लौटे वृद्ध से जब फिर पूछा गया कि सुनवाई हुई कि नहीं तो वो बोले कि हो गई सुनवाई बस मैडम ने दस्तखत करके आवेदन ले लिया, तो संतोष करके जा रहा हूँ। लिहाजा 15 सालों से काम के लिए भटक रहे वृद्ध की प्रताड़ना से समझ आता है कि जनसुनवाई में कैसे काम होता है।