Edited By meena, Updated: 16 Dec, 2025 08:10 PM

वनमंडल के दैहान क्षेत्र में मादा तेंदुए की निर्मम हत्या ने न सिर्फ वन विभाग बल्कि पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है...
खैरागढ़ (हेमंत पाल) : वनमंडल के दैहान क्षेत्र में मादा तेंदुए की निर्मम हत्या ने न सिर्फ वन विभाग बल्कि पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। वन अमले ने भले ही 24 घंटे के भीतर पूरे प्रकरण का खुलासा कर 7 आरोपियों को चिन्हित कर लिया हो, लेकिन आरोपियों को मीडिया के सामने न लाना अब इस कार्रवाई पर ही सवाल खड़े कर रहा है।
सूचना से सनसनी तक
दिनांक 14 दिसंबर 2025, अपरान्ह करीब 3:30 बजे, दैहान क्षेत्र के बीट फॉरेस्ट ऑफिसर सुनील पटले को ग्रामीणों से सूचना मिली कि जंगल किनारे एक तेंदुआ मृत अवस्था में पड़ा है। मौके पर पहुंचते ही पुष्टि हुई कि तेंदुए की मौत सामान्य नहीं, बल्कि शरीर क्षत-विक्षत है। तत्काल सूचना वन परिक्षेत्र अधिकारी, खैरागढ़ को दी गई। सूचना मिलते ही वनमंडलाधिकारी खैरागढ़, संयुक्त वनमंडलाधिकारी और वन परिक्षेत्र अधिकारी भारी अमले के साथ घटनास्थल पहुंचे। वन कक्ष क्रमांक 343 पी.एफ. से महज 50 मीटर दूर, राजस्व भूमि खसरा नंबर 132 में मादा तेंदुए का शव मिला यह साफ संकेत था कि मामला सुनियोजित शिकार का है।
आला अधिकारी मौके पर
मामले की गंभीरता को देखते हुए दुर्ग वृत्त की मुख्य वन संरक्षक एम. मर्सीबेला और मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) सतोविसा समाजदार उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व की ओर से घटनास्थल पर पहुंचीं। राज्य स्तरीय उड़नदस्ता दल और डॉग स्क्वॉयड भी संदीप सिंह (सहायक वन संरक्षक) के नेतृत्व में तैनात किया गया।
डॉग स्क्वॉयड ने खोली परतें
जांच के दौरान डॉग स्क्वॉयड सीधे ग्राम दैहान निवासी डोमन लाल वर्मा (45 वर्ष) तक पहुंचा। शुरुआती पूछताछ में वे वन अमले को गुमराह करते रहे, लेकिन सख्ती बढ़ते ही साजिश का पर्दाफाश हो गया। इसके बाद चन्दूराम वर्मा, हेमचंद वर्मा और दीपक यादव के नाम सामने आए। पूछताछ में खुलासा हुआ कि विद्युत करंट बिछाकर मादा तेंदुए का सामूहिक शिकार किया गया। आरोपियों के घरों से तार, खूंटियां, कुल्हाड़ी, धारदार हथियार और टूटी एयरगन बरामद की गई जो इस जघन्य अपराध की पुष्टि करते हैं।

दांत–पंजों की तस्करी की आशंका
मामला यहीं नहीं रुका। जांच में फिरोज निषाद और कचरू यादव भी संलिप्त पाए गए। उनकी निशानदेही पर तेंदुए के चार दांत बरामद हुए। कड़ी पूछताछ में डोमन लाल वर्मा ने कबूल किया कि चारों पंजे काटकर अलग छिपाए गए, जिन्हें बाद में अर्जुन (कहुआ) पेड़ की पोलार्ड में छुपाया गया था। वहां से चारों पंजे जप्त किए गए। यह तथ्य इस आशंका को और मजबूत करता है कि मामला केवल शिकार तक सीमित नहीं, बल्कि वन्यजीव अंगों की तस्करी से भी जुड़ा हो सकता है।
NTCA गाइडलाइन के तहत अंतिम प्रक्रिया
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) की गाइडलाइन के अनुसार डॉक्टरों की टीम ने वनमंडलाधिकारी खैरागढ़ श्री दीपेश कपिल (भा.व.से.) की मौजूदगी में शव परीक्षण किया। नियमानुसार स्थल पर ही दाह संस्कार किया गया और सभी वैधानिक सैंपल सुरक्षित रखे गए।
24 घंटे की कार्रवाई… लेकिन सवाल बरकरार
वन विभाग का दावा है कि 24 घंटे के भीतर 7 आरोपियों की पहचान कर ली गई और सभी अंग बरामद कर लिए गए। प्रकरण में न्यायालयीन कार्यवाही जारी है।