Edited By meena, Updated: 09 Dec, 2025 04:40 PM

अडाणी ग्रुप की गुना जिले में प्रस्तावित सीमेंट फैक्ट्री के निर्माण के लिए ईंट भट्टा संचालकों को बेदखल किए जाने के विरोध में मंगलवार को 50 से अधिक आक्रोशित लोगों ने कलेक्ट्रेट में विरोध प्रदर्शन किया। ये सभी प्रदर्शनकारी प्रजापति कुम्हार समाज...
गुना (मिस्बाह नूर) : अडाणी ग्रुप की गुना जिले में प्रस्तावित सीमेंट फैक्ट्री के निर्माण के लिए ईंट भट्टा संचालकों को बेदखल किए जाने के विरोध में मंगलवार को 50 से अधिक आक्रोशित लोगों ने कलेक्ट्रेट में विरोध प्रदर्शन किया। ये सभी प्रदर्शनकारी प्रजापति कुम्हार समाज से थे, जो 'प्रजापति ईंट उद्योग सहकारी समिति मर्यादित' संस्था के अंतर्गत काम करते हैं। आक्रोश इतना अधिक था कि महिलाओं ने कलेक्ट्रेट परिसर में ही जान देने की धमकी दी, जिससे वहां हड़कंप मच गया और भारी हुजूम लग गया।
पूरा घटनाक्रम अशोकनगर रोड स्थित मावन क्षेत्र में एक सरकारी जमीन का है, जहां अडाणी समूह की सीमेंट फैक्ट्री निर्माण के लिए ईंट भट्टा संचालकों को हटाया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्हें पहले भी कैंट क्षेत्र से खदेड़ा जा चुका है। प्रशासन ने उन्हें 9 दिसंबर को अतिक्रमण हटाने की चेतावनी दी थी और कार्रवाई के लिए 2 बजे का समय मुकर्रर किया गया था। लेकिन इसके पहले ही कुंभकार प्रजापति समाज के आक्रोशित होकर जनसुनवाई में पहुंच गए। जिस समय कलेक्ट्रेट के अंदर जनसुनवाई चल रही थी, बाहर प्रदर्शनकारी लोग आत्महत्या करने की चेतावनी दे रहे थे। महिलाओं का आक्रोश देखकर परिसर में लोगों की भीड़ जमा हो गई। प्रदर्शनकारी अपनी शिकायत लेकर अपर कलेक्टर अखिलेश जैन के पास पहुंचे।

अपर कलेक्टर ने प्रदर्शनकारियों से ज्ञापन लिया और वहां से चले गए। उनके तुरंत चले जाने से लोगों में आक्रोश और भी बढ़ गया। ज्ञापन देने आए लोगों ने बताया कि वे अधिकांश मजदूर हैं और रोज कमाकर अपने बच्चों का भरण-पोषण करते हैं। बेदखली होने से उनकी रोजी-रोटी छिन जाएगी। यह पूरा घटनाक्रम अडाणी समूह द्वारा गुना जिले के अंदर एक सीमेंट फैक्ट्री संचालित करने के एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद सामने आया है। समूह इस सीमेंट फैक्ट्री से हजारों लोगों को रोजगार देने का दावा कर रहा है। वहीं, प्रजापति समाज का कहना है कि रोजगार देने के लिए उन्हें बेदखल करके ही फैक्ट्री का निर्माण क्यों किया जा रहा है, जबकि अडाणी समूह को कहीं और भी जमीन दी जा सकती है। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने प्रशासन पर गरीबों की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि अगर उनकी सुनवाई नहीं होती है, तो जान देने का अधिकार उनके पास सुरक्षित है और वे ऐसा करने से पीछे नहीं हटेंगी। इस मामले के सामने आने के बाद पूरे जिले में घटनाक्रम की चर्चा जोरों पर है।