Edited By Jagdev Singh, Updated: 17 Nov, 2019 06:10 PM
पहले से प्रदूषण के मामले में ग्वालियर प्रदेश में अब्बल चल रहा है, लेकिन दीवाली के बाद तो यहां की आबोहवा में जैसे प्रदूषण का जहर ही घुल गया है। मौसम में आए बदलाव के साथ शहर में प्रदूषण का ग्राफ और ऊपर चला गया है। यही वजह है कि गड्ढों वाली सड़कों और...
ग्वालियर (अंकुर जैन): पहले से प्रदूषण के मामले में ग्वालियर प्रदेश में अब्बल चल रहा है, लेकिन दीवाली के बाद तो यहां की आबोहवा में जैसे प्रदूषण का जहर ही घुल गया है। मौसम में आए बदलाव के साथ शहर में प्रदूषण का ग्राफ और ऊपर चला गया है। यही वजह है कि गड्ढों वाली सड़कों और धूल की वजह से प्रदूषण का मानक पीएम -10 ,जो डस्ट से बढ़ता है 211.02 पर जा पहुंचा तो पीएम -2.5 जो वाहन प्रदूषण का मानक है बढ़कर 138.65 पर जा टिका हैं जो सेहत के लिए काफी खतरनाक है।
धूल के पार्ट काफी सूक्ष्म होते हैं जो सीधे मुंह और श्वासनली के माध्यम से सीधे फेफड़ों में प्रवेश कर जाते हैं, जबकि पीएम 10 अधिकतम 100 और पीएम 2.5 अधिकतम 60 के आसपास होना चाहिए। प्रशासन मानता है कि ग्वालियर शहर कुछ ज्यादा ही प्रदूषित होता जा रहा है। उन्होंने माना है कि वाहन प्रदूषण और खराब सड़कें इसके लिए दोषी हैं उसने जल्द हालात पर नियंत्रण की बात कही है।
वहीं डाॅक्टर कहते हैं कि ग्वालियर में संक्रमण जनित बीमारियों का बड़ा कारण यहां का बढ़ता प्रदूषण है जो वाहनों के काले धुंए और सड़कों से उड़ती धूल की वजह से है। इससे खांसी जुकाम गले की बीमारियों के साथ सांस की बीमारियों भी पैदा हो रही हैं। इस कारण प्रदूषण के संक्रमण से रोगियों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है।