Edited By Vikas Tiwari, Updated: 25 Aug, 2025 07:47 PM

इंदौर नगर निगम में एक और गड़बड़ी का मामला सामने आया है। चंदन नगर क्षेत्र में बिना अनुमति लगाए गए अवैध नामकरण बोर्ड और उनके भुगतान को लेकर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।
इंदौर: इंदौर नगर निगम में एक और गड़बड़ी का मामला सामने आया है। चंदन नगर क्षेत्र में बिना अनुमति लगाए गए अवैध नामकरण बोर्ड और उनके भुगतान को लेकर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। जानकारी के मुताबिक, वार्ड नंबर 2 की पार्षद फातमा रफीक खान ने नगर निगम की अनुमति के बिना ही इलाके की गलियों में नामकरण बोर्ड लगवा दिए। हैरानी की बात यह है कि इन बोर्डों का भुगतान निगम ने एमआईसी की स्वीकृति के बिना ही लाखों रुपए में कर दिया।
जांच समिति गठित
मामले के सामने आते ही निगमायुक्त शिवम वर्मा ने तत्काल कार्रवाई करते हुए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी। समिति को पांच दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी इस पर नाराज़गी जताई और कहा कि प्रथम दृष्टया उपयंत्री और कार्यपालन यंत्री की बड़ी लापरवाही सामने आई है। उन्होंने साफ कहा कि दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
ये अधिकारी करेंगे जांच
जांच समिति में जनकार्य विभाग के अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर, अधीक्षण यंत्री डीआर लोधी और उपयंत्री पराग अग्रवाल शामिल किए गए हैं। प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ कि बोर्ड लगाने के लिए यातायात विभाग के मौखिक निर्देश का हवाला दिया गया था, लेकिन दस्तावेजों में कई अनियमितताएं पाई गईं। बिल पास करने और सत्यापन में भी नियमों की अनदेखी की गई।
रिकॉर्ड समय में हुआ भुगतान
जहां आमतौर पर ठेकेदारों को महीनों तक भुगतान के लिए इंतजार करना पड़ता है, वहीं इस मामले में फाइलें रिकॉर्ड समय में तैयार हुईं और बिल पास कर भुगतान भी कर दिया गया। लेखा शाखा की इस "तेजी" पर भी सवाल उठ रहे हैं। वार्ड-2 की पार्षद फातमा रफीक खान पर आरोप है कि उन्होंने सीधे ठेकेदार से संपर्क कर बोर्ड लगवाए। महापौर ने इस पहलू की भी जांच कराने की बात कही है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की जानकारी और अनुमति के बिना ऐसा कार्य संभव नहीं है।
दो महीने पहले लगे थे बोर्ड
करीब दो महीने पहले सकीना मंजिल, गौसिया रोड, ख्वाजा रोड और रजा गेट पर ये बोर्ड लगाए गए थे। उस समय भी महापौर और स्थानीय विधायक ने आपत्ति जताई थी, क्योंकि नियमों के अनुसार किसी भी गली या मोहल्ले का नामकरण एमआईसी की मंजूरी के बिना संभव नहीं है। तब अफसरों ने जिम्मेदारी ठेकेदार पर डाल दी थी, लेकिन अब दस्तावेज बता रहे हैं कि बिल बाकायदा जोन स्तर पर सत्यापित हुए और भुगतान जारी किया गया।
फिलहाल, इस मामले पर अभी एफआईआर दर्ज नहीं की गई है, लेकिन जांच रिपोर्ट के बाद निगम प्रशासन द्वारा बड़ी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।