जीतू बोले- किसान और बेरोजगार तरस रहे, महिलाएं असुरक्षित, सड़कों के बुरे हाल,MP में कोई कैसे दिवाली मनाए

Edited By Desh sharma, Updated: 18 Oct, 2025 08:53 PM

jitu said  farmers and the unemployed are yearning

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने दीपावली पर्व से पहले प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, "जब किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए तरस रहा है, युवा बेरोजगारी की मार झेल रहा है, महंगाई आसमान छू रही है, महिलाएं...

(भोपाल): मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने दीपावली पर्व से पहले प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, "जब किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए तरस रहा है, युवा बेरोजगारी की मार झेल रहा है, महंगाई आसमान छू रही है, महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, सड़कें गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं, और लोगों के पास खाने तक के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, तो दीपावली का यह त्योहार कैसे खुशहाल हो सकता है?"

पटवारी ने भाजपा सरकार की छह प्रमुख विफलताओं पर आधारित एक श्वेत पत्र के माध्यम से आंकड़ों के साथ कुशासन की पोल खोलने का दावा किया है । श्वेत पत्र में व्यापक बेरोजगारी, भ्रष्टाचार-ग्रस्त सड़कों, किसानों की बदहाली, जानलेवा महंगाई, महिलाओं की असुरक्षा, और भयावह बाल मृत्यु दर जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने का कोशिश की गई है।

1-बेरोजगारी की मार: युवाओं का भविष्य अंधेरे में

पटवारी ने कहा है कि  मध्य प्रदेश में 25 लाख से अधिक युवा रोजगार कार्यालयों में नौकरी की तलाश में पंजीकृत हैं, जिनमें 9 लाख से अधिक उच्च शिक्षित और 10 लाख से अधिक अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के युवा शामिल हैं। इसके बावजूद, सरकार पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS 2023-24) के आधार पर दावा करती है कि बेरोजगारी दर मात्र 0.9% है, जो देश में सबसे कम है। यह सांख्यिकीय धोखाधड़ी है, क्योंकि PLFS उन हताश युवाओं को गिनती में शामिल नहीं करता, जिन्होंने नौकरी की तलाश छोड़ दी है। सरकार ने केवल 4 लाख नौकरियां देने का दावा किया, जो 25 लाख पंजीकृत बेरोजगारों की तुलना में नगण्य है।  "जब युवा रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं, तो दीपावली का दीया उनके घरों में कैसे जल सकता है?"

2-सड़कों पर गड्ढे, जनता की जेब पर डाका

मध्य प्रदेश की सड़कें गड्ढों का पर्याय बन चुकी हैं। भोपाल-देवास सड़क, जिसकी निर्माण लागत ₹1360 करोड़ थी, उस पर अब तक ₹6522 करोड़ से अधिक टोल वसूला जा चुका है—लागत का 500% से अधिक। इसके बावजूद, सड़कें जर्जर हैं, और भोपाल-इंदौर मार्ग पर हाल ही में एक पुल धंसने से 100 मीटर सड़क गायब हो गई। सरकार ने सड़कों के रखरखाव के लिए ₹1700 करोड़ का बजट आवंटित किया, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।  "जब सड़कें टूटी हों और जनता से पांच गुना टोल वसूला जा रहा हो, तो दीपावली की यात्रा सुरक्षित कैसे हो सकती है?"

3-किसानों की बदहाली: MSP और बोनस के खोखले वादे

सरकार खेती को 'लाभ का धंधा' बताती है, लेकिन किसान अपनी फसल को सड़कों पर फेंकने को मजबूर हैं, जैसा कि सरकार ने गेहूं का दाम 2700 और धान का 3100 और सोयाबीन 6000 रुपए प्रति क्विंटल देने का वादा किया, लेकिन ये वादा पूरा नही किया जो यह साबित करता है कि खेती जोखिम और संकट का धंधा बन चुकी है।"जब किसान MSP के लिए तरस रहा है तो दीपावली की मिठास उनके जीवन में कैसे आएगी?"

4-महंगाई की मार: जनता की जेब खाली

सीपीआई इंडेक्स के अनुसार, जनवरी-जून 2025 तक महंगाई दर 413 से बढ़कर 414 हो गई। इसके बावजूद, सरकार ने दैनिक वेतन भोगियों के महंगाई भत्ते में केवल ₹1 प्रतिदिन की बढ़ोतरी की, जबकि विशेषज्ञों ने ₹150 प्रतिदिन की सिफारिश की थी। यह 15000% का अंतर है और मजदूरों का अपमान है। 4 लाख पेंशनर्स को भी कर्मचारियों से 2% कम महंगाई राहत दी जा रही है।  "जब महंगाई की आग में जनता जल रही हो और मजदूरों को ₹1 की वृद्धि दी जा रही हो, तो दीपावली की रौनक कैसे बचेगी?"

5-महिलाओं की असुरक्षा: 'लापता लेडीज' का संकट

महिलाओं और बच्चियों की गुमशुदगी के मामले मध्य प्रदेश में चिंताजनक रूप से स्थिर हैं। शहडोल में दो सगी बहनों के लापता होने के बाद भी पुलिस कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाई। ये मामले मानव तस्करी और संगठित अपराध की ओर इशारा करते हैं। सरकार लाड़ली बहना योजना जैसे वित्तीय लाभों को प्रचारित करती है, लेकिन सुरक्षा जैसे मूल कर्तव्य में विफल है।  "जब बेटियां सुरक्षित नहीं हैं, तो दीपावली का उत्सव कैसे मनाया जा सकता है?"

6-बच्चों की जान खतरे में: स्वास्थ्य सेवाओं का पतन

सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) 2023 के अनुसार, मध्य प्रदेश में 0-4 वर्ष के बच्चों की मृत्यु दर देश में दूसरी सबसे अधिक है। यह कुपोषण, स्वच्छता की कमी, और ग्रामीण क्षेत्रों में नवजात देखभाल की अपर्याप्तता का परिणाम है। ₹1630 करोड़ के स्वास्थ्य बजट के बावजूद, परिणाम शून्य हैं। कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद ही सरकार ने 24 जिला गुणवत्ता सलाहकार नियुक्त किए, जो उसकी प्रतिक्रियाशील नीति को दर्शाता है।  "जब बच्चे सुरक्षित नहीं हैं, तो दीपावली का दीया उनके घरों में कैसे जल सकता है?"

इसके अलावा जीतू पटवारी ने सरकार से कुछ सवाल पूछे हैं 

-25 लाख बेरोजगारों की हकीकत के सामने 0.9% बेरोजगारी का झूठ क्यों? उच्च शिक्षित युवाओं के लिए रोजगार योजना कब आएगी? 

-टोल की लूट कब रुकेगी? भोपाल-देवास मार्ग पर 500% अधिक वसूली के बाद भी टोल क्यों? भ्रष्ट अधिकारियों पर FIR कब? 

-किसानों का बोनस कहां है? ₹200 प्रति क्विंटल की प्रोत्साहन राशि और बकाया भुगतान कब मिलेगा? 

-मजदूरों का अपमान क्यों? ₹1 की वेतन वृद्धि के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई कब? 

-बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन? स्वास्थ्य आपातकाल कब घोषित होगा?  लापता महिलाएं कहां हैं? गुमशुदगी के मामलों की जांच के लिए SIT कब बनेगी?

 

कांग्रेस ने जो मांग की है..

-दीपावली को खुशहाल बनाने के लिए तत्काल कदम उठाकर टोल वसूली तुरंत बंद हो, लागत वसूली के बाद सड़कों को टोल-मुक्त किया जाए। 

-न्यूनतम वेतन और महंगाई भत्ते में तत्काल संशोधन हो। 

-किसानों को MSP सुनिश्चित हो। 

-युवाओं के लिए रोजगार सृजन की ठोस नीति लागू हो। 

-महिलाओं की सुरक्षा के लिए हाई कोर्ट की निगरानी में SIT बने। 

-स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए आपातकालीन कदम उठाए जाएं।

पटवारी ने चेतावनी देते हुए कहा है कि जब तक सरकार इन सवालों का जवाब नहीं देती ,मध्य प्रदेश कांग्रेस सड़कों पर उतरकर जनता की आवाज बुलंद करेगी। दीपावली का असली उजाला तभी आएगा, जब जनता को बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, और असुरक्षा से मुक्ति मिलेगी।"

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