Edited By meena, Updated: 22 Feb, 2020 12:57 PM
मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार अपना खाली खजाना भरने के लिए अनुसूचित जाति जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के पहली से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति बंद कर सकती है। ऐसा करने से...
भोपाल: मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार अपना खाली खजाना भरने के लिए अनुसूचित जाति जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के पहली से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति बंद कर सकती है। ऐसा करने से सरकार को सालाना 200 करोड़ रुपए की बचत होगी। इसके लिए आदिमजाति कल्याण और पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अफसरों में सहमति बन गई है। इस प्रस्ताव पर वित्त विभाग ने भी सहमति जताई है।
अब यह प्रस्ताव तीनों विभागों के मंत्रियों और सीएम कमलनाथ को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। सीएम की मुहर के साथ ही प्रदेश के पहली से आठवीं क्लास के करीब 15 लाख बच्चों को मिलने वाली छात्रवृत्ति बंद हो जाएगी।
इस योजना को बंद करने के पीछे की वजह बताते हुए अधिकारियों ने कहा कि 'नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई)" आने के बाद से पहली से आठवीं के विद्यार्थियों से ट्यूशन फीस नहीं ली जाती है। उन्हें स्कूल ड्रेस, स्कूल आने-जाने के लिए साइकिल और किताबें मुफ्त दी जा रही हैं। जब पढ़ाई पर विद्यार्थियों का पैसा खर्च ही नहीं हो रहा है, तो वजीफा क्यों दें। वही अधिकारियों ने यह भी तर्क दिया कि वैसे भी छात्रवृत्ति की राशि इतनी कम है कि उससे विद्यार्थी को कोई फायदा नहीं है। ऐसे में योजना बंद या वजीफे की राशि बढ़ानी पड़ेगी।