बिना पार्टी सिंबल लड़ा जाएगा नगरीय निकाय चुनाव, पार्षद चुनेंगे नपाध्यक्ष और महापौर !

Edited By meena, Updated: 06 Sep, 2019 01:13 PM

municipal elections will be fought without party symbol

प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेताओं की आपसी खींचतान और विधायकों और मंत्रियों की बयानबाजी की वजह से अपने मुश्किल दौर से गुज़र रही कमलनाथ सरकार अब फूक फूक कर कदम रख रही है। यही वजह है कि अब आगामी नगरीय निकाय चुनाव में कुछ फेरबदल करने वाली है। नगरीय निकाय...

भोपाल।(इज़हार हसन खान): प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेताओं की आपसी खींचतान और विधायकों और मंत्रियों की बयानबाजी की वजह से अपने मुश्किल दौर से गुज़र रही कमलनाथ सरकार अब फूक फूक कर कदम रख रही है। यही वजह है कि अब आगामी नगरीय निकाय चुनाव में कुछ फेरबदल करने वाली है। नगरीय निकाय चुनाव अब बिना पार्टी सिंबल लड़ा जाएगा। यह फेरबदल फीडबैक के आधार पर हो सकता है जिसमें संशोधन के लिए वरिष्ठ सचिव समिति सहित विधि विभाग की मंजूरी भी मिल गई है।

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दरअसल फीड बीक में यह जानकारी सामने आई कि वर्तमान परिस्थितियों में अगर महापौर/नपाध्यक्ष का चुनाव डायरेक्ट होता हैं और पार्टी सिंबल पर होता है तो इससे कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। वही कांग्रेस और सरकार यह नहीं चाहती कि उसको नुकसान हो इसलिए यह कदम उठाया जा सकता है। क्योंकि अगर बिना सिंबल के चुनाव लड़ा जाता है तो जीते हुए व्यक्ति को आसानी से अपने साथ मिलाया जा सकता है। वहीं जब महापौर और नपाध्यक्ष का चुनाव पार्षद करेंगे तब भी अपना महापौर और नपाध्यक्ष बनाने में कठिनाई नहीं होगी। हालांकि चुनाव प्रक्रिया में परिवर्तन के लिए कानून में संशोधन के प्रस्ताव को मंत्रिमंडल की अगली कैबिनेट बैठक में रखा जाना माना जा रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि कैबिनेट इस पर क्या फैसला लेती है।

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ये हो सकते है बदलाव
जनता द्वारा ना चुनकर पार्षदों द्वारा चुना जाएगा महापौर/नपाध्यक्ष

नए बदलाव के हिसाब से जहां अभी तक महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष के लिए जनता सीधे वोट करती थी, वही अब जनता पहले अपना पार्षद चुनेगी उसके बाद पार्षद अपना अध्यक्ष या महापौर चुनेंगे।

पार्टी सिंबल पर नहीं लड़ा जाएगा चुनाव
जहां पिछली बार नगर पालिका और नगर निगम में पार्षदों और महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष ने चुनाव पार्टी सिंबल पर लड़ा था। वही अब उनको बिना पार्टी सिंबल के चुनाव लड़ना पड़ सकता है।

चुनाव के दो महीने पहले तक होगा परिसीमन
कई नगरीय निकायों में अभी परिसीमन प्रक्रिया शुरू भी नहीं हुई है। परिसीमन की राजनीतिक वजह भी हैं। अब तक चुनाव के छह महीने पहले परिसीमन अनिवार्य था। अब इसे दो महीने कर दिया गया है।

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