Edited By meena, Updated: 17 Jan, 2020 02:39 PM
मध्य प्रदेश की विधानसभा के विशेष सत्र की कार्रवाई के दूसरे दिन सदन में अतिथि विद्वानों का मामला उठा। इस पर सदन में विपक्ष ने जमकर नारे बाजी की और सदन के बहिर्गमन कर दिया। विधानसभा का यह विशेष सदन अनुसूचित जनजाति एससी-एसटी...
भोपाल: मध्य प्रदेश की विधानसभा के विशेष सत्र की कार्रवाई के दूसरे दिन सदन में अतिथि विद्वानों का मामला उठा। इस पर सदन में विपक्ष ने जमकर नारे बाजी की और सदन के बहिर्गमन कर दिया। विधानसभा का यह विशेष सदन अनुसूचित जनजाति एससी-एसटी के आरक्षण को आगामी 10 साल के लिए बढ़ाने वाले संविधान संशोधन का अनुमोदन करने के लिए बुलाई गई थी।
सदन की दुसरे दिन की कार्रवाई में इससे पहले की एससी-एसटी आरक्षण को लेकर चर्चा आरंभ होती उससे पहले ही नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव एंव भाजपा के अन्य सदस्यों ने अतिथि विद्वानों का मुद्दा उठाया और सरकार को अपना वचन याद दिलाया, जिसमें कांग्रेस ने अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण का वादा किया था। प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार ने यह वचन पूरा करने की बजाय अलग से इस मामले में जांच समिति का गठन कर दिया, जिसकी पहले कभी कोई चर्चा नहीं की थी। उन्होंने कहा कि यह सरकार की वादाखिलाफी के अलावा और कुछ नहीं है। सरकार ने अपने वचनों को नहीं निभाया। प्रदेश में 8000 सहायक प्राध्यापकों के पद खाली है। कमलनाथ सरकार को बने एक साल हो गया है लेकिन अभी तक सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया है।
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के आरोपों पर जीतू पटवारी ने कहा आप सदन के वरिष्ठ सदस्य हैं। आपके सुझाव हमारे लिए मानने योग्य हैं। लेकिन जीतू पटवारी की बातों से असंतुष्ट विपक्ष ने नारे बाजी करते हुए सदन से वाकआउट कर लिया।