कमलनाथ ने किया था बाढ़ पीड़ितों को मुआवजे का ऐलान! ग्रामीण अब भी खाली हाथ, खाने पीने के पड़े लाले

Edited By Vikas kumar, Updated: 06 May, 2020 05:49 PM

people suffering from flood have not yet received compensation food and living

मंदसौर में बीते 2019 में आई भयानक बाढ़ ने कई लोगों को बे-घर कर दिया था। बाढ़ से बने हालातों पर तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने नुकसान का आकलन कर मुआवजा देने की बात क....

मंदसौर (प्रीत शर्मा): मंदसौर में बीते 2019 में आई भयानक बाढ़ ने कई लोगों को बे-घर कर दिया था। बाढ़ से बने हालातों पर तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने नुकसान का आकलन कर मुआवजा देने की बात कही थी। किन्तु कई परिवार अब भी राहत न मिलने से परेशानी में है। वहीं इनके ऊपर अब कोरोना के चलते हुआ लॉकडाउन भी मुसीबत बनकर टूट पड़ा है।

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मध्यप्रदेश में सरकार बदल गई। लेकिन जो नहीं बदला वो है सिस्टम, जो रात दिन जनता की समस्याओं को हल करने का दावा करता है। प्रदेश के मंदसौर में बीते 2019 में आई भीषण बाढ़ के बाद मुआवजा देने का एलान कर चुकी तत्कालीन कमलनाथ सरकार का मुआवजा अब तक मंदसौर के उन ग्रामीणों तक पहुंचा ही नहीं है। जिनका बारिश के वक्त मकान ढह गया था। जिले के सोनगरा गांव के में रहने वाले करीब 15 से 20 परिवार ऐसे हैं। जिनके मकान भयानक बारिश से आई बाढ़ में ढह गए थे। इन परिवारों में से कई ऐसे हैं जिन्हें मुआवजा मिला ही नहीं है। वहीं कुछ को सरकार की मदद के रूप में मुआवजा पहुंचा भी है तो वह ऊंट के मुंह मे जीरे के समान है। गांव की नई आबादी क्षेत्र मे रहने वाले इन परिवारों पर कोरोना के चलते हुआ लॉकडाउन भी किसी मुसीबत से कम नहीं है। इन परिवारों के हालात यह हो चुके हैं कि दो वक्त की रोटी भी इन्हें बड़ी मुश्किल से नसीब हो रही है। पूरे मामले में मुआवजा न मिलने का दोष इस क्षेत्र के हल्का पटवारी को दे रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि, हल्का पटवारी ने मुआवजा जरूरतमंदों तक न पहुंचाकर रसूखदारों तक ही पहुंचाया है।

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लाचार बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों की बात जब नायब तहसीलदार राकेश यादव के संज्ञान में आई, तो वे अब गांव पहुंचकर पीड़ितों की समस्या का समाधान करने की बात कर रहे हैं। हालांकि अब देखना होगा की नायब तहसीलदार के दखल के बाद इन गरीबों को मुआवजा मिल पाता है या नहीं। पूरा मामला देखने के बाद यह तो साफ है कि प्रदेश के नेताओं को जनता की सेवा के बजाए स्वयं मेवा खाने में ज्यादा आनंद आता है। स्थिति साफ है कि दोनों राजनितिक पार्टियों ने बीते माह सत्ता में काबिज होने के लिए क्या कुछ नहीं किया। लेकिन ऐसे घटनाक्रमो में अगर मजधार में कोई फंसा तो वो कोई और नहीं बल्कि प्रदेश का आम नागरिक है।

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