Edited By Himansh sharma, Updated: 29 May, 2025 11:39 AM

लपचौरा गांव का तालाब अब शोक का प्रतीक बन गया है।
गुना। (मिस्बाह नूर): "मां, मैं बाहर खेलने जा रहा हूं..." जब सात वर्षीय मासूम कपिल घर से निकला तो माँ को नहीं मालूम था कि वह आखरी बार उसे देख रही है। अपने घरेलू काम मे जुटी कपिल की मां से कपिल ने कहा और कभी वापस न लौटने के लिए निकल गया। मंगलवार शाम करीब 5 बजे वह तालाब के पास चल रही जेसीबी मशीन देखने लगा, लेकिन फिर कभी घर वापस नहीं आया। जब काफी देर तक उसका कुछ पता नहीं चला, तो परिजन उसे ढूंढते हुए तालाब तक पहुंचे। वहां पानी में उसकी चप्पलें तैर रही थीं। कपिल गहरे गड्ढे में डूब चुका था। यह गड्ढा उस तालाब में खुदाई के दौरान बना था, जहां से ग्रामीण निर्माण कार्यों के लिए मिट्टी निकाल रहे हैं। इन गड्ढों में भरे पानी और सुरक्षा के अभाव ने एक और मासूम की जान ले ली।
कपिल धाकड़ अपने माता-पिता की इकलौती संतान था। कक्षा दो में पढ़ता था। उसका शव मिलते ही गांव में कोहराम मच गया। मां बेटे की लाश देखकर बेसुध हो गई और वहीं चीख-चीखकर पुकारने लगी, जबकि पिता सूनी आंखों से निःशब्द उसे निहारते रह गया। कपिल को जिला अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मर्ग कायम कर पुलिस ने जांच की कार्रवाई शुरू कर दी है।
यह पहली घटना नहीं है। जिले में कई ऐसे स्थान हैं, जहां अवैध खनन या मिट्टी खुदाई के बाद बने गहरे गड्ढों में बारिश का पानी भर जाता है और वे जानलेवा बन जाते हैं। 2016 के सितंबर माह में पिपरोदा खुर्द गांव की ललुआटोरा की खदान में 7 बच्चों की डूबकर मौत हो चुकी है। अक्टूबर 2022 में केडिया गांव में सड़क किनारे पानी से भरे गड्ढे में 3 बहनें डूब गईं। फरवरी 2025 में कलोरा गांव में अवैध मुरम खदान में मिट्टी धंसने से 2 मजदूरों की मौत हो गई थी।
लपचौरा गांव का तालाब अब शोक का प्रतीक बन गया है। तालाबों के आसपास कोई सुरक्षा उपाय नहीं हैं। इसलिए हमेशा दुर्घटना का डर बना रहता है। मिट्टी खनन के कारण तालाब में कई खतरनाक गड्ढे बन चुके हैं, लेकिन कोई चेतावनी बोर्ड या घेराबंदी नही है।