Edited By ASHISH KUMAR, Updated: 28 Feb, 2019 10:30 AM
कमलनाथ सरकार द्वारा किसान कर्जमाफी के एलान के बाद प्रदेश में कर्जमाफी पर सवाल उठने लगे हैं। जिसका बड़ा कारण प्रदेश सरकार की कर्जमाफी योजना में सहकारी बैंकों की बड़ी गड़बड़ी सामने आना है। पिंक आवेदनों में साढ़े पांच हजार किसानों ने खुद बताया है कि...
भोपाल: कमलनाथ सरकार द्वारा किसान कर्जमाफी के एलान के बाद प्रदेश में कर्जमाफी पर सवाल उठने लगे हैं। जिसका बड़ा कारण प्रदेश सरकार की कर्जमाफी योजना में सहकारी बैंकों की बड़ी गड़बड़ी सामने आना है। पिंक आवेदनों में साढ़े पांच हजार किसानों ने खुद बताया है कि उन पर बैंकों का कोई कर्ज नहीं, जबकि जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों समेत बड़े राष्ट्रीयकृत बैंकों की सूची में इन किसानों के नाम पर लोन चढ़ा हुआ है।
गड़बड़ी सबसे ज्यादा मामले ग्वालियर के हैं। अब कृषि एवं सहकारिता विभाग इन मामलों की जांच करेंगे। इसमें राष्ट्रीयकृत बैंकों की भी मदद ली जाएगी। राज्य सरकार को संदेह है कि इन किसानों के नाम पर पिछले कई सालों से सहकारी बैंक से जुड़े लोग धोखाधड़ी कर रहे हैं। जिन भी सहकारी बैंकों में गड़बड़ी निकलेगी, उन पर सख्त कार्रवाई होगी। ग्वालियर में कुल 1232 बोगस केस सामने आए हैं। इसमें 1138 प्रकरण जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के हैं। दतिया, छतरपुर, हरदा और रीवा में भी बड़ी संख्या में प्रकरण सामने आए हैं।
जिला सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) के साथ बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूको बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, नर्मदा झाबुआ ग्रामीण बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, मध्यांचल ग्रामीण बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भी शामिल हैं। सहकारी समितियों ने राज्य सरकार को चेताया है कि वे सहकारी बैंकों से ऋण लेकर किसानों को बांटती हैं। उनकी कोई वित्तीय समिति नहीं है। पैसा नहीं होगा तो इतनी बड़ी राशि का भुगतान कैसे करेंगे। अभी प्रशासक बैठा दिए गए हैं, जो ऋण माफी स्कीम के अंतर्गत कोई फैसला नहीं ले सकते। किसानों की अंशपूंजी पर समितियां काम करती हैं। यदि पूंजी नहीं मिलेगी तो समितियां खत्म हो जाएंगी।