SIR प्रक्रिया पर उमंग सिंघार का बड़ा सवाल, ‘लोकतंत्र की जड़ों पर हमला, आदिवासी और कमजोर तबकों के वोट खतरे में’

Edited By Vikas Tiwari, Updated: 29 Oct, 2025 01:17 PM

umang singhar raises a big question on the sir process

मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आज चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया को लेकर गंभीर आपत्तियां जताईं। उन्होंने इसे ‘Selective Intensive Removal’ करार देते हुए कहा कि यह मतदाता सूची की सफाई नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जड़ों...

भोपाल (इजहार हसन खान): मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आज चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया को लेकर गंभीर आपत्तियां जताईं। उन्होंने इसे ‘Selective Intensive Removal’ करार देते हुए कहा कि यह मतदाता सूची की सफाई नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करने की कवायद है।

सिंघार ने कहा कि चुनाव आयोग 12 राज्यों में 4 नवंबर 2025 से 7 फरवरी 2026 तक यह प्रक्रिया चलाने जा रहा है, जिसमें 51 करोड़ वोटरों की घर-घर गिनती केवल 30 दिन में पूरी करने का दावा किया गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि ‘इतनी बड़ी और संवेदनशील प्रक्रिया इतनी जल्दबाज़ी में कैसे पूरी होगी?’ उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट नहीं किया कि सिर्फ 12 राज्यों को ही क्यों चुना गया, जबकि बाकी राज्यों को इससे बाहर रखा गया है। असम को NRC के नाम पर बाहर रखने को भी उन्होंने ‘संदेहास्पद’ बताया।

मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा खतरा आदिवासी वोटरों को
सिंघार ने चेतावनी दी कि राज्य की 22% आदिवासी आबादी, जिनकी दस्तावेज़ी और डिजिटल पहुंच सीमित है, बड़ी संख्या में मतदाता सूची से बाहर हो सकती है। उन्होंने कहा कि जिन 13 दस्तावेजों को SIR में आवश्यक बताया गया है, उनमें Forest Right Certificate भी शामिल है, जबकि राज्य सरकार पहले ही 3 लाख से अधिक दावे खारिज कर चुकी है। सिंघार ने यह भी कहा कि बिहार में SIR लागू होने के बाद करीब 47 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए गए थे। यदि यही पैटर्न मध्यप्रदेश में दोहराया गया तो करोड़ों वोट प्रभावित हो सकते हैं।

वोट चोरीका पुराना मामला फिर उठा
नेता प्रतिपक्ष ने याद दिलाया कि 19 अगस्त 2025 को उन्होंने राज्य में ‘वोट चोरी’ का मुद्दा उठाया था, जहां सिर्फ दो महीनों में 16 लाख नए मतदाता जोड़े गए थे। उन्होंने कहा कि इस पर न तो राज्य के CEO और न ही चुनाव आयोग ने कोई जवाब दिया। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि 9 जून 2023 के एक आयोगीय आदेश में मतदाता सूची में हुए बदलावों को वेबसाइट या सार्वजनिक मंचों पर साझा करने से मना किया गया था, जिससे प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।

चुनाव आयोग से सिंघार के सवाल
सिंघार ने चुनाव आयोग से तीन बड़े सवाल पूछे हैं, उन्होंने सवाल किया है कि 12 राज्यों के चयन का आधार क्या था? बिहार SIR में कितनी गलत प्रविष्टियाँ पाई गईं, इसका डेटा क्यों नहीं? जनगणना (अक्टूबर 2026) से पहले इतनी जल्दबाज़ी क्यों? सिंघार ने कहा, ‘यह सिर्फ मतदाता सूची की समीक्षा नहीं, बल्कि वोटर अधिकारों की कटौती और कमजोर तबकों की राजनीतिक आवाज़ को दबाने का प्रयास है।’ उन्होंने मांग की कि चुनाव आयोग इस प्रक्रिया को रोककर SSR की विफलताओं की सार्वजनिक समीक्षा करे, ताकि लोकतंत्र पर कोई आंच न आए।

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