Edited By meena, Updated: 04 Sep, 2024 05:49 PM
बागेश्वर धाम की पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जो हमेशा हिंदू, हिंदुत्व और हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं उनके जीवन में दो मुस्लिम शख्स ऐसे हैं...
छतरपुर (राजेश चौरसिया) : बागेश्वर धाम की पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जो हमेशा हिंदू, हिंदुत्व और हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं उनके जीवन में दो मुस्लिम शख्स ऐसे हैं जिनकी वह हमेशा कई बार अपने कथा के दौरान एवं खुले मंचों से तारीफ करते हुए नजर आते हैं आखिर कौन है वह दो शख्स और धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री क्यों बार-बार उनकी तारीफ करते हैं।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को आज कौन नहीं जानता है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उन युवा कथाकारों में से एक हैं जिन्होंने कम समय में एक बड़ा नाम कमाया है। धीरेंद्र शास्त्री हमेशा हिंदू हिंदुत्व एवं हिंदू राष्ट्र को लेकर चर्चाओं में रहते हैं। लेकिन इस बार उनकी चर्चा दो मुस्लिम शख्सों को लेकर हो रही है जिनकी तारीफ वह हमेशा करते रहते हैं। तो आइए आपको उन दो मुस्लिम शख्सों के बारे में बताते हैं कि ये कौन है और क्या करते हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जिन दो मुस्लिम शख्सों की तारीफ करते हैं उनमें से एक उनके बचपन के दोस्त शेख मुबारक हैं और दूसरे उनके गुरु अलीम खान जो कि उन्हें बचपन में पढ़ाते थे।
●कौन है शेख मुबारक
शेख मुबारक पेशे से एक प्राकृतिक चिकित्सक है और पिछले 15 सालों से उनकी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से गहरी दोस्ती है। धीरेंद्र से लेकर पीठाधीश्वर बनने के सफर में शेख मुबारक उनके हरदम साथ रहे है और आज भी उनकी वही दोस्ती है समय मिलते ही धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उनसे मिलने पहुंच जाते हैं।
●कैसे हुई दोस्ती
शेख मुबारक बताते हैं कि वह धीरेंद्र शास्त्री से उम्र में लगभग 6 साल बड़े हैं। उनकी मुलाकात अचानक से गंज गांव के पास बरसात के मौसम में हुई थी। मुलाकात होते ही दोनों में विवाद हुआ और बाद में गहरी दोस्ती हो गई शेख मुबारक का कहना है कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन से ही धार्मिक और संस्कारिक रहे हैं। जब वह साल के तब से कथाएं और प्रवचन करते आ रहे है। शुरुआत में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की आर्थिक स्थिति ठीक नही थीं सभी लोग उनकी मदद करते थे। इसी बीच धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपनी बहन की शादी कराने की बता कही सभी दोस्त और रिशेतदार तैयारियों में लग गए। लेकिन शादी में कुछ पैसों की जरूरत पड़ी तब मैंने उन्हें लगभग 20 हजार रुपए दिए थे। जिसे वो आज तक नहीं भूलते है और कई बार मंचों से कह चुके हैं।
शेख मुबारक चुरारन गांव के रहने वाले हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री गढ़ा गांव के दोनों के गांव में काफी दूरी है। बावजूद हमारे पारिवारिक संबंध है। त्योहारों में मेरे घर उनका और उनके घर मेरा आना जाना होता है। हाल ही में रक्षा बंधन के दिन मैं उनकी बहन से राखी बंधवाने के लिए गया था।
●समय मिलते ही दौड़े चले आते हैं मिलने
शेख मुबारक बताते हैं कि भले ही आज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की प्रसिद्धि पूरी दुनिया में हो लेकिन वे इतने सरल हैं कि समय मिलते ही मुझसे मिलने के लिए आ जाते हैं। कई बार रास्ते में जब मैं उन्हें नहीं देख पाता हूं तो वो खुद अपना काफिला पीछे करवाते और मुझ से मिलते हैं। उनकी दोस्ती आज भी पहले जैसे ही है कुछ भी नहीं बदला है।
● कौन है हलीम खान
हलीम खान दूसरे ऐसे व्यक्ति है। जिनकी तारीफ धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री मंचों से करते हैं। हलीम खान गंज गांव के शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल में मैथ पढ़ाते हैं और उसी स्कूल में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पढ़े हैं। हलीम खान बताते हैं कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थे। पांचवी से लेकर आठवीं, 10 वीं एवं 12 वीं में प्रथम श्रेणी से पास हुए हैं। पढ़ाई में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन से ही होशियार रहे हैं और आज उससे भी ज्यादा हैं।