Edited By Prashar, Updated: 24 Aug, 2018 07:34 PM
भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी दुनिया को अलविदा कह गए हैं। लेकिन उनके जाने के बाद उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए निकाली जा रही ''अटल अस्थि कलश यात्रा'' को लेकर सियासत गरमाई हुई है। कांग्रेस इस यात्रा के माध्यम से बीजेपी पर...
भोपाल : भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी दुनिया को अलविदा कह गए हैं। लेकिन उनके जाने के बाद उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए निकाली जा रही 'अटल अस्थि कलश यात्रा' को लेकर सियासत गरमाई हुई है। कांग्रेस इस यात्रा के माध्यम से बीजेपी पर राजनीतिक लाभ लेने का आरोप लगा रही है। वहीं, अब अटलजी दो भतीजियां भी इस लड़ाई में कूद पड़ी हैं।
दरअसल यात्रा के विरोध में एक तरफ उनकी लाडली भतीजी करुणा शुक्ला खड़ी हैं तो दूसरी तरफ यात्रा के पक्ष में कांति मिश्रा है। अटल जी की उनके पैतृक घर ग्वालियर के शिंदे की छावनी में रहने वाली भतीजी कांति मिश्रा ने जहां अटल जी की अस्थि कलश यात्रा को उनके अपने शहर में लोगों के दर्शन के लिए निकालने को अच्छी पहल बताया है। उनका कहना है कि हर कोई उनके अस्थि कलश के दर्शन के लिए दिल्ली नहीं जा सकता, ऐसे में इस यात्रा से उनके प्रशंसकों को अटल जी को श्रद्धांजलि देने का मौका मिल रहा है। कांति मिश्रा ने करुणा शुक्ला पर निशाना साधते हुए ये भी कहा कि जो जैसा होता है उसे वैसा ही नजर आता है। हर चीज के दो पहलू होते हैं, अगर उसमें अच्छाई देखेंगे, तो अच्छी दिखेगी और स्वार्थ देखेंगे, तो उसमें कई विचित्र बातें दिखेंगी।
वहीं, छत्तीसगढ़ में रहने वाली कांति देवी मिश्रा की छोटी बहन और कांग्रेस नेता करुणा शुक्ला ने बीजेपी पर चुनाव के नाम पर वोट बैंक हथियाने का आरोप लगाया है। करुणा शुक्ला ने कहा कि अब चाचा जी के निधन के बाद पूरी बीजेपी और छत्तीसगढ़ सरकार उनके नाम पर नई-नई योजनाएं चलाने और योजनाओं का नाम रखने की बात कर रही हैं। वहीं, उनके जीते जी किसी को उनकी सुध नहीं आई। इसका सीधा मतलब है कि बीजेपी अटल जी के निधन को भी राजनीतिक लाभ के लिहाज से देख रही है।
गौरतलब है कि करुणा शुक्ला पहले बीजेपी में थी, लेकिन बाद में वह कांग्रेस में चली गई। कांति मिश्रा का कहना है कि करुणा शुक्ला मंत्री नहीं बनाए जाने के खिलाफ पार्टी से विद्रोह कर कांग्रेस में गई थी, ऐसे में अटल जी के नाम पर राजनीति करना ठीक नहीं है। उन्होंने इशारों-इशारों में करुणा शुक्ला को नसीहत दी कि वह चाचाजी यानी अटल जी की आत्मा की शांति के लिए इसे बयानबाजी में ना घसीटे।