Edited By Jagdev Singh, Updated: 05 Feb, 2020 02:09 PM
राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने करीब तीन महीने पहले भिंड में मीडिया से चर्चा के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और बीजेपी पर पैसे लेकर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप लगाने का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है।...
ग्वालियर: राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने करीब तीन महीने पहले भिंड में मीडिया से चर्चा के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और बीजेपी पर पैसे लेकर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप लगाने का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। ग्वालियर न्यायालय ने उनको पुनर्विचार याचिका पर नोटिस जारी किया है। इसमें दिग्विजय सिंह से उक्त मामले में 17 मार्च तक जवाब तलब किया गया है। जिस याचिका पर नोटिस जारी किया गया है वह एडवोकेट अवधेश सिंह भदौरिया की ओर से लगाई गई है। उन्होंने स्वयं को बीजेपी महानगर ग्वालियर के विशेष आमंत्रित सदस्य हैं। उनके द्वारा ही न्यायालय मे मानहानिकारक प्रकरण प्रस्तुत किया गया। इस मामले को एक बार अदालत ने निरस्त कर दिया था। तब भदौरिया ने सत्र न्यायालय में चुनौती दी।
उन्होंने तर्क दिया कि किसी संगठन पर कोई मानहानि कारक आरोप लगाए जाते हैं तो कानूनन कोई संगठन आरोपित व्यक्ति के विरुद्ध मानहानि का दावा नहीं कर सकता है। बल्कि उस संगठन के प्रत्येक सदस्य को आरोपित व्यक्ति के विरुद्ध मामला दर्ज कराने का अधिकार है। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया उक्त मामले को सुनवाई योग्य पाते हुए दिग्विजय सिंह को उनके राधोगढ़ और नई दिल्ली स्थित निवास स्थान पर नोटिस जारी कर जबाब मांगा है।
वहीं भदौरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि 31 अगस्त 2019 को दिग्विजय सिंह भिंड आए थे। तभी पत्रकारवार्ता के दौरान बीजेपी और आरएसएस कार्यकर्ता पर पाकिस्तान के लिए जासूसी का आरोप लगाया था। मीडिया में खबर प्रकाशित और प्रसारित हुई। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की आईएसआई एजेंसी, खासकर भारत के लिए एक दुर्दान्त एजेंसी है जो कि कश्मीर सहित भारत के विभिन्न हिस्सों में आतंक फैलाने के लिए आतंकवादियों को प्रशिक्षण तथा धन एवं अन्य आवश्यक साधन मुहैया कराके आतंकवादी घटना को अंजाम देती है। जिसकी लगातार भर्त्सना एवं वैचारिक मुकाबला बीजेपी और आरएसएस के कार्यकर्ता कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के आरोप पूर्ण रूप से असत्य एवं निराधार हैं।
परिवादी ने कोर्ट में उक्त बयान की प्रति, वीडियो सीडी पेश की थी। प्रकरण पंजीयन की स्टेज पर कोर्ट ने इस आशय का आदेश पारित किया कि दिग्विजय सिंह ने आरएसएस और बीजेपी संगठन पर आरोप लगाए गए हैं, लेकिन परिवादी के विरुद्ध व्यक्तिगत आरोप लगाए गए, ऐसा प्रतीत नहीं होता। उक्त प्रकरण का निरस्त कर दिया था।