दिग्विजय के बयान पर दो फाड़ हुई कांग्रेस, किसी ने किया विरोध तो किसी ने समर्थन, की थी BJP-RSS की तारीफ

Edited By Vikas Tiwari, Updated: 28 Dec, 2025 01:41 PM

congress divided over digvijaya singh s remarks on rss organisational strength

इंदौर में सामूहिक विवाह समारोह में मुख्यमंत्री मोहन यादव के शामिल होने और संभावित बड़े ऐलान की चर्चा के बीच, कांग्रेस के भीतर एक अलग सियासी बहस तेज हो गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की संगठनात्मक...

इंदौर: इंदौर में सामूहिक विवाह समारोह में मुख्यमंत्री मोहन यादव के शामिल होने और संभावित बड़े ऐलान की चर्चा के बीच, कांग्रेस के भीतर एक अलग सियासी बहस तेज हो गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की संगठनात्मक मजबूती की सराहना किए जाने के बाद पार्टी के अंदर मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं।

दिग्विजय सिंह के बयान पर कांग्रेस के कुछ नेताओं ने कड़ा विरोध जताया है, जबकि कुछ नेताओं ने वैचारिक असहमति के बावजूद संगठनात्मक कार्यशैली से सीख लेने की बात कही है। इस मुद्दे ने कांग्रेस की वैचारिक एकता और रणनीतिक दिशा को लेकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा और सुप्रिया श्रीनेत ने आरएसएस से किसी भी तरह की सीख लेने से इनकार किया है। पवन खेड़ा ने कहा कि आरएसएस से सीखने जैसा कुछ नहीं है और उन्होंने गांधी जी की हत्या के दोषी नाथूराम गोडसे का संदर्भ देते हुए संघ पर तीखा हमला बोला। वहीं सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि भाजपा कांग्रेस नेताओं के बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है और कांग्रेस जैसी ऐतिहासिक पार्टी को किसी संगठन से सीखने की आवश्यकता नहीं है।

दूसरी ओर, टीएस सिंह देव ने दिग्विजय सिंह का बचाव करते हुए कहा कि विचारधारा और कार्यशैली को अलग-अलग देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी संगठन की कार्यप्रणाली से सीख लेना गलत नहीं है, बशर्ते उसकी विचारधारा को न अपनाया जाए। उन्होंने खेल का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे क्रिकेट में विरोधी टीम से सीखकर खुद को बेहतर बनाया जाता है, वैसे ही संगठनों के मामले में भी सुधार की गुंजाइश रहती है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी संगठन को मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संगठनात्मक मजबूती को लेकर कोई भ्रम नहीं होना चाहिए और पार्टी को इस दिशा में गंभीर प्रयास करने होंगे। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस जैसी ऐतिहासिक संस्था को अपनी वैचारिक पहचान बनाए रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह ने हाल ही में सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लालकृष्ण आडवाणी की एक पुरानी तस्वीर साझा करते हुए आरएसएस की संगठनात्मक शक्ति की बात कही थी। बाद में उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि वे आरएसएस की विचारधारा से सहमत नहीं हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने कांग्रेस के भीतर विचारधारा, संगठन और रणनीति को लेकर चल रही बहस को एक बार फिर सतह पर ला दिया है, जिससे आने वाले समय में पार्टी की दिशा और फैसलों पर असर पड़ सकता है।

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