Edited By meena, Updated: 30 Dec, 2025 03:51 PM

मध्य प्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के एक बयान ने सियासी हलचल तेज कर दी है। इंदौर कोर्ट से निकलते वक्त दिए गए उनके एक वाक्य ने न सिर्फ सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी, बल्कि भाजपा को भी...
इंदौर : मध्य प्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के एक बयान ने सियासी हलचल तेज कर दी है। इंदौर कोर्ट से निकलते वक्त दिए गए उनके एक वाक्य ने न सिर्फ सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी, बल्कि भाजपा को भी बैठे बिठाए एक मुद्दा दे दिया है। भाजपा नेता रामेश्वर शर्मा समेत अन्य कई नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आई हैं।
कोर्ट पेशी के बाद छलका दर्द
सोमवार को पीसीसी चीफ जीतू पटवारी अपने एक पुराने मामले की पेशी के लिए इंदौर न्यायालय पहुंचे थे। पेशी के बाद जब वह कार में बैठकर बाहर निकल रहे थे, तभी उन्होंने कहा, “मैं तो खुद वनवास भोग रहा हूं।” उनका यह बयान कैमरे में कैद हो गया और देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा।
भाजपा का तीखा तंज
जीतू पटवारी के “वनवास” वाले बयान पर भाजपा ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने जीतू पटवारी के बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि खुद की तुलना राम से मत करों। बनना है तो उनके चरणों की धूल बनों, नहीं तो ऐसा वनवास मिलेगा कि वापस नहीं जाएगा।
वहीं भाजपा शहर अध्यक्ष सुमित मिश्रा ने इस पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस के नेता सत्ता से दूर होते ही विचलित हो जाते हैं। मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस नेताओं को जब सत्ता नहीं मिलती, तो उन्हें लगता है कि वे वनवास में चले गए हैं।
‘मलाई’ और ‘वनवास’ पर सियासत
सुमित मिश्रा ने आरोप लगाया कि जब जीतू पटवारी को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था, तब उन्हें लगा था कि अब सत्ता की मलाई मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि पटवारी ने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं को ही वनवास पर भेज दिया। मिश्रा का दावा रहा कि इसी प्रक्रिया के चलते कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता आज भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं।
कांग्रेस बनाम भाजपा की नई बहस
भाजपा नेता ने यह भी कहा कि कांग्रेस जब सत्ता में रहती है, तब सब ठीक लगता है, लेकिन जैसे ही जनता के बीच जाने की नौबत आती है, तो उसे वनवास जैसा महसूस होने लगता है। इस बयान के बाद “वनवास” शब्द अब प्रदेश की राजनीति में एक नए सियासी प्रतीक के तौर पर चर्चा में आ गया है। कुल मिलाकर, जीतू पटवारी के एक वाक्य ने कांग्रेस की अंदरूनी पीड़ा और भाजपा के तीखे तंज—दोनों को ही एक बार फिर सियासी मंच पर आमने-सामने ला खड़ा किया है।